मेरा गाँव मेरी धरोहर: गाँव-गाँव से जोड़ती भारत की सांस्कृतिक आत्मा

जब भी हम भारत की बात करते हैं, तो सबसे पहले जो छवि मन में उभरती है वो होती है – खेत-खलिहान, कच्ची गलियाँ, चौपाल पर बैठते बुजुर्ग और लोकगीतों की गूंज। यही तो असली भारत है – हमारा गाँव। और अब सरकार ने इस विरासत को बचाने और दुनिया तक पहुँचाने के लिए एक अनोखी पहल शुरू की है – "मेरा गाँव मेरी धरोहर" (MGMD)।


इस पहल की शुरुआत कैसे हुई?
"मेरा गाँव मेरी धरोहर" कार्यक्रम भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया है। इसे इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) के ज़रिए लागू किया जा रहा है। यह राष्ट्रीय सांस्कृतिक मानचित्रण मिशन (NCCM) का हिस्सा है, जिसे भारत की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने और गाँवों की विरासत को दस्तावेज़ीकरण करने के लिए शुरू किया गया है।

यह पहल आज़ादी का अमृत महोत्सव के तहत जून 2023 में लॉन्च की गई थी और इसके तहत एक पोर्टल बनाया गया – https://mgmd.gov.in, जहाँ हर गाँव की सांस्कृतिक जानकारी एक क्लिक में उपलब्ध है।

क्या है इस पोर्टल पर?
इस पोर्टल पर गाँवों की लोक परंपराएँ, रीति-रिवाज़, लोककला, पारंपरिक भोजन, मेलों और त्योहारों, पहने जाने वाले कपड़े, लोक कलाकार, आभूषण, और धार्मिक या ऐतिहासिक स्थल – सब कुछ दर्ज किया जा रहा है।

यानि आपके गाँव की कोई भी सांस्कृतिक खासियत – चाहे वो किसी खास त्योहार की पूजा हो या फिर कोई पारंपरिक नृत्य – अब डिजिटल रूप में सहेजी जा रही है।

और अच्छी बात ये है कि इसमें उन परंपराओं को भी जगह मिल रही है, जो अब तक छुपी हुई थीं या जिन्हें बहुत कम लोग जानते थे। यानी भारत के हाशिए पर पड़े समुदायों की सांस्कृतिक आवाज़ भी अब सुनी जा रही है।

अब तक कितना काम हुआ है?

भारत में करीब 6.5 लाख गाँव हैं, और लक्ष्य है कि सभी का सांस्कृतिक मानचित्रण किया जाए। अभी तक 4.7 लाख गाँवों की जानकारी पोर्टल पर अपलोड की जा चुकी है, यानी आधे से ज्यादा काम हो चुका है।

अगर हम राज्यों की बात करें, तो पश्चिम बंगाल से जुड़ा एक दिलचस्प आँकड़ा सामने आया है। वहाँ कुल 41,116 गाँव हैं, जिनमें से 5,917 गाँवों का डाटा पहले ही अपलोड हो चुका है और बाकी 35,199 गाँवों का दस्तावेज़ीकरण जारी है।

क्या सरकार इसके लिए पैसे दे रही है?
अभी तक, इस योजना के लिए राज्यवार कोई विशेष वित्तीय सहायता नहीं दी गई है, यानी राज्यों को इसके लिए अलग से बजट नहीं दिया गया है। फिर भी, काम ज़ोरों पर चल रहा है क्योंकि इसे एक राष्ट्रीय मिशन के तौर पर देखा जा रहा है।

इस पहल से हमें क्या फायदा होगा?

इसका सबसे बड़ा फायदा ये है कि हमारे गाँवों की जो मौखिक परंपराएँ, अनुष्ठान और लोक कलाएँ पीढ़ियों से चली आ रही हैं, वो अब डिजिटल रूप में संरक्षित हो जाएँगी।

यह पहल सिर्फ सांस्कृतिक संरक्षण नहीं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने का भी जरिया बन सकती है। जैसे-जैसे गाँवों की सांस्कृतिक पहचान मजबूत होगी, ग्रामीण पर्यटन, स्थानीय शिल्प, और लोक कलाकारों को पहचान मिलेगी।

एक नई सोच, एक नया भारत
"मेरा गाँव मेरी धरोहर" न सिर्फ एक सरकारी योजना है, बल्कि एक आंदोलन है – जो हर भारतीय को अपने गाँव, अपनी जड़ों और अपनी सांस्कृतिक पहचान से जोड़ता है।

संस्कृति और पर्यटन मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने लोकसभा में जानकारी दी कि यह पहल हमारे देश की आत्मा को सहेजने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे भारत की अनगिनत छिपी सांस्कृतिक विरासतें सामने आएँगी, जो अब तक केवल बुज़ुर्गों की यादों में कैद थीं।

आप क्या कर सकते हैं?
अगर आप अपने गाँव की खास परंपराओं, मेलों, गीतों, भोजन या लोककला के बारे में जानते हैं – तो आप भी इस पोर्टल पर योगदान कर सकते हैं। अपने गाँव को दुनिया से जोड़िए, ताकि अगली पीढ़ियाँ भी जान सकें कि हम कहाँ से आए हैं और हमारी असली ताकत क्या है।

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