किसानों की कमाई बढ़ाने और खेत से थाली तक एक मजबूत सप्लाई चेन बनाने के लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (PMKSY) में 1,920 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि जोड़ दी है। ये फंड कुल 6,520 करोड़ रुपये के बजट का हिस्सा है जो 15वें वित्त आयोग चक्र (2021-26) के तहत इस योजना को दिए गए हैं।
सरकार का कहना है कि ये पैसा खासतौर पर खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को बढ़ावा देने, फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान को रोकने और किसानों को उनकी उपज का बेहतर दाम दिलाने के लिए खर्च किया जाएगा। इस पैसे से खासतौर पर कोल्ड चेन इन्फ्रास्ट्रक्चर, फूड टेस्टिंग लैब्स और खाद्य विकिरण इकाइयों जैसे प्रोजेक्ट्स को बल मिलेगा।
अब तक क्या हुआ है?
जून 2025 तक पीएमकेएसवाई के तहत कुल 1,601 प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी जा चुकी है, जिनमें से 1,133 चालू या पूरी हो चुकी हैं। इनसे हर साल करीब 255.66 लाख मीट्रिक टन की खाद्य प्रसंस्करण और संरक्षण क्षमता बनी है। पूरी तरह लागू होने पर ये प्रोजेक्ट्स करीब 21,803 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित करेंगे और 50 लाख से ज्यादा किसानों को फायदा होगा। इतना ही नहीं, इससे करीब 7.25 लाख रोजगार भी पैदा होंगे।
कहां खर्च होगा नया फंड?
-1,000 करोड़ रुपये उन 50 बहु-उत्पाद खाद्य विकिरण इकाइयों और 100 फूड टेस्टिंग लैब्स (एफटीएल) के लिए है जो पूरे देश में बनेंगी।
-920 करोड़ रुपये पीएमकेएसवाई की मौजूदा योजनाओं को और मजबूत करने में खर्च होंगे।
सरकार का कहना है कि इस अतिरिक्त निवेश से खासकर दूरदराज और अनुसूचित जाति/जनजाति इलाकों को फायदा होगा, जहां अभी तक आधुनिक खाद्य प्रसंस्करण सुविधाएं नहीं पहुंच पाई हैं।
क्या होता है खाद्य विकिरण इकाइयों में?
इन इकाइयों में कोल्ड स्टोरेज, ग्रेडिंग, छंटाई और विकिरण तकनीक के जरिए खाद्य सामग्री को लंबे समय तक सुरक्षित रखा जाता है। अभी तक ऐसी 16 परियोजनाएं मंजूर हुई हैं, जिनमें से 9 चालू हैं। नई 50 इकाइयों से सालाना 20-30 लाख मीट्रिक टन की अतिरिक्त क्षमता बनेगी।
फूड टेस्टिंग लैब्स क्यों जरूरी हैं?
बाजार और निर्यात के लिए फूड क्वालिटी टेस्टिंग बहुत जरूरी है। सरकार अब 100 नई NABL-मान्यता प्राप्त लैब्स बनाने जा रही है, ताकि किसानों और प्रोसेसर्स को पास की ही किसी लैब में जल्दी और सस्ता टेस्टिंग मिल सके।
ऑपरेशन ग्रीन्स – केवल टमाटर, आलू, प्याज ही नहीं, अब 22 फसलें शामिल
2018 में शुरू हुए ऑपरेशन ग्रीन्स योजना के तहत शुरुआत में सिर्फ टमाटर, आलू और प्याज को कीमत स्थिरता के लिए समर्थन दिया जाता था। अब इसमें 22 जल्दी खराब होने वाले उत्पाद शामिल कर दिए गए हैं – जैसे आम, केला, अंगूर, भिंडी, गाजर, लहसुन और यहां तक कि झींगा भी।
अभी तक कितना बढ़ा है प्रोसेसिंग सेक्टर?
2013-14 में खाद्य प्रसंस्करण सेक्टर का जीवीए 1.30 लाख करोड़ रुपये था, जो 2023-24 में बढ़कर 2.24 लाख करोड़ रुपये हो गया है। ये सेक्टर अब देश के कृषि और मैन्युफैक्चरिंग जीवीए में क्रमशः 9.46% और 7.93% का योगदान दे रहा है।
नतीजा क्या होगा?
सरकार की मानें तो पीएमकेएसवाई सिर्फ किसानों को बेहतर दाम देने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत में एक मजबूत और आधुनिक कृषि-खाद्य प्रणाली तैयार कर रहा है। इसके तहत मेगा फूड पार्क्स, कोल्ड स्टोरेज, प्रोसेसिंग क्लस्टर और टेस्टिंग लैब्स का एक नेटवर्क बन रहा है। इससे न केवल किसानों की कमाई बढ़ेगी, बल्कि देश के ग्रामीण इलाकों में रोज़गार भी पैदा होंगे और भारत के खाद्य उत्पादों का निर्यात भी बढ़ेगा।
पीएमकेएसवाई सरकार की एक रणनीतिक योजना बनकर उभरी है, जो न केवल कृषि को तकनीक और संरचना से जोड़ रही है, बल्कि भारत के खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को भी नई ऊंचाइयों तक ले जा रही है।
सोर्स पीआईबी
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