पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (TMC) सुप्रीमो ममता बनर्जी ने एक बड़ा खेल कर दिया है। ममता बनर्जी के एक दांव से राहुल गांधी, नीतीश कुमार, अरविंद केजरीवाल और अखिलेश यादव समेत कई बड़े नेता पीएम की रेस से बाहर हो गए हैं। टीएमसी सुप्रीमो की सियासी चाल से सभी पार्टी के नेता अचंभित हैं। प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के नाम का प्रस्ताव पेश कर ममता से इस दौड़ में शामिल सभी नेताओं के साथ खेल कर दिया है। दिल्ली के सीएम और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भले ही इस प्रस्ताव का समर्थन कर दिया लेकिन उनके साथ ही हर नेता इस प्रस्ताव से हैरान है।
ममता बनर्जी ने भले खरगे का नाम उछाल यह दलील दी कि दलित चेहरा होने की वजह से I.N.D.I. Alliance को चुनाव में लाभ मिलेगा। लेकिन खुद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी गांधी परिवार के राहुल गांधी की जगह अपने नाम का प्रस्ताव सुन चौंक गए। पार्टी में कलह से बचने के लिए उन्होंने साफ कहा कि प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार का फैसला चुनाव जीतने के बाद होगा। प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि पहले चुनाव जीत के आना होगा। उन्होंने कहा, 'हम पहले जीतने की कोशिश करेंगे, उसके बाद सांसद लोकतांत्रिक ढंग से फैसला करेंगे।' खरगे के बयान से एक बात तो साफ है कि चुनाव जीतने को लेकर वे खुद कॉन्फिडेंस नहीं है।
खरगे का नाम लेकर ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल ने एक तरह से राहुल गांधी का पत्ता साफ करने की कोशिश की है। इसके साथ ही यह भी जता दिया है कि इस पद के लिए राहुल गांधी उन्हें स्वीकार नहीं हैं। कांग्रेस पार्टी ही नहीं सभी को पता है कि कांग्रेस में अगर किसी का चलता है तो गांधी परिवार का। और राहुल गांधी के रहते पार्ची प्रधानमंत्री पद के लिए किसी और के बारे में सोच भी नहीं सकती। लेकिन जिस तरह से राहुल गांधी के राजनीति में सक्रिय होने के बाद से कांग्रेस एक के बाद एक चुनाव हारती गई है उससे दूसरी पार्टी ने नेता अब उन्हें उतनी गंभीरता से नहीं लेते। राहुल की अगुआई में अब सिर्फ तीन राज्यों हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक और तेलांगना में कांग्रेस की सरकार बची है। इससे उनका बार्गेनिंग पावर भी कम हुआ है।
भले ही आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने ममता के प्रस्ताव का समर्थन किया, लेकिन दबे मन वो खुद भी इस दौड़ में आगे मान रहे हैं। पार्टी के नेता उनका नाम बीच-बीच में पीएम प्रत्याशी के तौर पर उछालते भी रहते हैं। केजरीवाल दौड़ में बने रहने के लिए सीधा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधते हैं। विपक्षी नेता भी दबी जबान मानते हैं कि I.N.D.I. Alliance में अरविंद केजरीवाल और ममता बनर्जी ही हैं जो डायरेक्ट प्रधानमंत्री मोदी पर हमला बोलते हैं और उन्हें टक्कर देते हैं। ऐसे में ममता ने खरगे का नाम लेकर एक तरह से केजरीवाल को भी किनारे लगा दिया है। ऐसे में फिलहाल ममता खुद को सबसे आगे मान कर चल रही है। इसके साथ ही जिस तरह से आम आदमी पार्टी के नेता एक के बाद एक आरोपों में फंस रहे हैं, उससे भी केजरीवाल की दावेदारी कमजोर हुई है। फिलहाल गठबंधन की बैठक खत्म होने के बाद केजरीवाल 10 दिवसीय विपश्यना शिविर चले गए हैं।
बताया जा रहा है कि ममता की इस चाल से नाराज होकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नई दिल्ली वाली बैठक से भी बाहर चले गए। इसके पहले भी नीतीश कुमार I.N.D.I. Alliance की बैठक छोड़कर जा चुके हैं। जेडीयू नेता नीतीश कुमार उम्मीद कर रहे थे कि कम से कम इस बैठक में उन्हें संयोजक बनाने का एलान कर दिया जाएगा। लेकिन पीएम पद के उम्मीदवार का प्रस्ताव आने से ना सिर्फ नीतीश कुमार बल्कि उनकी पार्टी के नेता भी नाराज हैं। नीतीश कुमार के प्रधानमंत्री बनने का सपना किसी से छिपा हुआ नहीं है। उनकी पार्टी के नेता भी बीच-बीच में उनका नाम मीडिया में प्रचारित करते रहते हैं। पीएम बनने की ख्वाहिश लेकर ही विपक्ष को एकजुट करने के लिए नीतीश कुमार ने I.N.D.I. Alliance की पहली बैठक पटना में करवाई थी। लेकिन पटना के साथ बंगलुरु और मुंबई में भी उन्हें संयोजक नहीं बनाया गया। अब नई दिल्ली की बैठक में किनारे किए जाने से ना सिर्फ नीतीश बल्कि आरजेडी प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव भी खफा हैं।
लालू यादव भी नीतीश कुमार को I.N.D.I. Alliance का संयोजक या फिर प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने में पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। लालू यादव को लगता है कि अगर नीतीश कुमार बिहार छोड़कर दिल्ली जाते हैं तो उनके पुत्र तेजस्वी यादव के लिए उप मुख्यमंत्री से मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ हो सकता है। ऐसे में जब ममता ने खरगे के नाम का प्रस्ताव रखा तो लालू यादव नाराज होकर प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले ही बैठक छोड़कर होटल के लिए रवाना हो गए। उन्हें लगता है कि नीतीश के प्रधानमंत्री बनने पर केंद्र में आरजेडी नेताओं को अहम मंत्रालय मिलने के साथ राज्य में पार्टी की स्थिति भी मजबूत होगी।
ममता बनर्जी के प्रस्ताव पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी खुलकर समर्थन नहीं किया। इससे खुद उनकी दावेदारी कमजोर हो गई है। समाजवादी पार्टी के नेता चाहते हैं कि विपक्ष की ओर से देश के सबसे बड़े प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके अखिलेश यादव प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बने। बैठक के बाद जब अखिलेश यादव से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के बारे में सवाल किया गया तो वो इधर-उधर की बातें करने लगे। हालांकि अखिलेश पीएम उम्मीदवार की दौड़ में आगे नहीं हैं, फिर भी चुनाव आने पर उनकी पार्टी के नेता उन्हें प्रत्याशी के रूप में प्रचारित करने लगते हैं।
अभी भले नाम ना लिया गया हो लेकिन इस दौड़ में काफी पहले से एनसीपी नेता शरद पवार का नाम भी लिया जाता रहा है। उनकी पार्टी के नेता कह भी चुके हैं कि अगर 2024 में मोदी को हराना है तो पवार साहब के नेतृत्व में विपक्ष को एकजुट होना चाहिए। लेकिन महाराष्ट्र में उनकी पार्टी की कमजोर स्थिति और उम्र ज्यादा होने की वजह से फिलहाल उनका नाम सुर्खियों में नहीं है। ऐसे में चुनाव से पहले कई दिग्गज नेताओं को किनारे कर मल्लिकार्जुन खरगे के नाम को आगे कर ममता बनर्जी ने चुनाव बाद के लिए अपना ऑप्शन खुला रखा है।
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