“गुरु वो नहीं जो सिर्फ पढ़ाए… वो है जो भविष्य बनाए” – पीएम मोदी का शिक्षकों से दिल छू लेने वाला संवाद

सोचिए, जब देश का प्रधानमंत्री आपको सीधे "होमवर्क" दे- वो भी बड़े प्यार से। ऐसा ही कुछ हुआ जब हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशभर के राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता शिक्षकों से मुलाकात की। ये मुलाकात सिर्फ औपचारिकता नहीं थी, बल्कि एकदम दिल से हुई बातचीत थी- जिसमें शिक्षा, संस्कृति, तकनीक और देशभक्ति के रंग घुले हुए थे।


“मां जन्म देती है, लेकिन जीवन गुरु देता है”
पीएम मोदी ने कहा कि हमारे देश में शिक्षक को सिर्फ "टीचर" नहीं, मार्गदर्शक माना जाता है। उन्होंने कहा, “गुरु वही है जो बच्चे की सोच को ऊँचाई दे, जो उसे सिर्फ नौकरी के लिए नहीं, देश के लिए सोचने वाला नागरिक बनाए।” एकदम सटीक बात कही – आज के समय में जब बच्चे सिर्फ मार्क्स के पीछे भागते हैं, उन्हें एक सही दिशा दिखाने वाला शिक्षक ही असली रोल मॉडल है।

“ये पुरस्कार नहीं, एक नई शुरुआत है”

प्रधानमंत्री ने बड़ी दिलचस्प बात कही। उन्होंने कहा कि ये पुरस्कार सिर्फ शो-पीस नहीं है, बल्कि एक जिम्मेदारी है। अब पूरे समाज की नजर आप पर है, आप सिर्फ क्लासरूम के टीचर नहीं, बल्कि देश के रोल मॉडल बन चुके हैं। और यही असली बदलाव की शुरुआत है।

आत्मनिर्भर भारत – बच्चों के दिलों तक कैसे पहुंचे?

अब जरा सोचिए, जब कोई बच्चा ये समझे कि विदेशी सामान का विकल्प ढूंढना देशभक्ति है, तो बदलाव कितना गहरा होगा। पीएम मोदी ने कहा कि स्कूल में ही बच्चों को सिखाना होगा कि “वोकल फॉर लोकल” क्यों जरूरी है। उन्होंने एक बढ़िया आइडिया भी दिया — बच्चे अपनी रोजमर्रा की चीजों की लिस्ट बनाएं और देखें कि कौन-कौन सी चीज़ें विदेशी हैं। फिर उनकी जगह देशी विकल्प अपनाएं।

गेमिंग vs जुआ – फर्क समझाना होगा

एक और बेहद जरूरी मुद्दे पर प्रधानमंत्री ने बात की- ऑनलाइन गेमिंग। उन्होंने साफ कहा कि गेमिंग में कुछ गलत नहीं, लेकिन जब वो जुए का रूप ले लेता है, तो बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ होता है। उन्होंने शिक्षकों से अपील की कि बच्चों को इस फर्क को समझाएं। सही जानकारी देना ही सबसे बड़ा बचाव है।

अटल टिंकरिंग लैब्स – जहां बच्चों के सपने उड़ान भरते हैं
पीएम मोदी ने कहा कि आज भारत के बच्चे न केवल टेक्नोलॉजी समझ रहे हैं, बल्कि खुद इनोवेशन कर रहे हैं। अटल इनोवेशन मिशन और टिंकरिंग लैब्स ने बच्चों की सोच को एक नया आयाम दिया है। और इसमें भी सबसे बड़ी भूमिका किसकी है? — आप जैसे शिक्षकों की।

GST में बदलाव – बच्चों को भी समझाना होगा
इस मुलाकात में पीएम ने GST 2.0 की भी बात की। उन्होंने कहा कि अब बहुत सी जरूरी चीजें जैसे साबुन, पनीर, शैंपू, टूथपेस्ट आदि सस्ते होंगे क्योंकि टैक्स स्लैब कम हो गए हैं। बच्चों को भी ये समझाना जरूरी है कि कैसे सरकार के कदम उनके परिवार के बजट पर असर डालते हैं। ये भी एक तरह की आर्थिक साक्षरता है।

पीएम ने भी दिया होमवर्क!
हां, मजाक नहीं – प्रधानमंत्री ने शिक्षकों को "होमवर्क" दिया। उन्होंने कहा: बच्चों को आत्मनिर्भर भारत का मतलब समझाइए
विदेशी चीजों की पहचान और देशी विकल्पों की चर्चा कराइए। ऑनलाइन गेमिंग के खतरे के प्रति जागरूक कीजिए और फिर मुस्कुराते हुए बोले — “मैं वही कर रहा हूं जो आप करते हैं — होमवर्क दे रहा हूं।” 

ये मुलाकात सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं थी। ये एक मिशन की शुरुआत थी। ऐसा लगा जैसे प्रधानमंत्री ने हर शिक्षक को देश निर्माण की एक नई जिम्मेदारी दी है – और ये काम है नई पीढ़ी को तैयार करने का।

अगर आप भी शिक्षक हैं, या किसी बच्चे के माता-पिता हैं — तो इस संदेश को जरूर आगे बढ़ाइए। क्योंकि एक अच्छा शिक्षक, एक अच्छी किताब से कहीं ज्यादा असरदार होता है।


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