2025 भारत के आर्थिक इतिहास में एक नया अध्याय लेकर आया — जब 24 जुलाई 2025 को भारत और यूनाइटेड किंगडम (UK) के बीच Comprehensive Economic and Trade Agreement (CETA) पर आधिकारिक हस्ताक्षर हुए। यह केवल एक व्यापार समझौता नहीं, बल्कि एक रणनीतिक साझेदारी का विस्तार है जो न केवल व्यापार को बल्कि रोजगार, डिजिटल सेवाओं, कृषि, MSME, और पेशेवर गतिशीलता को नई दिशा देता है।
"ये समझौता भारत की उत्पादन शक्ति, कारीगरी, और वैश्विक पहुँच को मजबूती देने वाला कदम है।" – वाणिज्य मंत्रालय
समझौते की मुख्य बातें (एक नजर में)
बिंदु विवरण
हस्ताक्षर की तारीख- 24 जुलाई 2025
कवरेज- 99% भारतीय निर्यात वस्तुओं पर UK में शून्य टैरिफ
लक्ष्य- व्यापार को 2030 तक $112 अरब तक पहुँचाना
पेशेवर लाभ- भारतीय कर्मचारियों को UK में DCC राहत
संवेदनशील क्षेत्र- डेयरी, कृषि, IP नियमों में सुरक्षा
MSMEs- विशेष प्रोत्साहन और टैरिफ छूट से लाभान्वित
व्यापार आँकड़े: क्यों है यह अहम?
भारत और यूके का द्विपक्षीय व्यापार पिछले कुछ वर्षों में तेज़ी से बढ़ा है। वर्तमान में यह $56 अरब डॉलर के आसपास है। इस समझौते का उद्देश्य इसे 2030 तक $112 अरब डॉलर तक पहुँचाना है।
-भारत: कपड़ा, रत्न-आभूषण, ऑटो पार्ट्स, दवाएँ और समुद्री उत्पादों में विश्वस्तरीय निर्यातक है।
-यूके: उच्च तकनीक, शिक्षा, वित्तीय सेवाओं और औद्योगिक विनिर्माण में अग्रणी है।
CETA से भारत को क्या मिलेगा?
1. 99% निर्यात पर टैरिफ छूट
-कपड़ा, चमड़ा, रत्न, खिलौने, फार्मास्युटिकल्स, समुद्री उत्पाद – इन सब पर UK में अब कोई आयात शुल्क नहीं लगेगा।
-पहले कई वस्तुओं पर 8% से 12% तक शुल्क लगता था — जो अब 0% हो गया है।
2. शुल्क-मुक्त पहुँच = सस्ती कीमत + ज्यादा मांग
उदाहरण: भारतीय रेशमी साड़ियों या कारपेट्स की कीमत अब UK में कम होगी → खरीदारी बढ़ेगी → भारतीय निर्यातकों को ज्यादा ऑर्डर मिलेंगे।
कौन से क्षेत्र होंगे फायदे में?
I. श्रमप्रधान उद्योग (Labour-Intensive Sectors)
कपड़ा व रेडीमेड वस्त्र (Textiles & Apparels)
-भारत के सबसे बड़े MSME सेक्टर में आता है।
-मुख्य निर्यातक राज्य: तमिलनाडु (तिरुपुर), पंजाब (लुधियाना), गुजरात, उत्तर प्रदेश।
खिलौने (Toys)
-चीन के एकाधिकार को चुनौती।
-Make in India ब्रांड को नई बाज़ार पहुँच।
चमड़ा और फुटवियर
-कानपुर, आगरा, चेन्नई को UK में स्थायी बाजार मिलेगा।
II. औद्योगिक और इंजीनियरिंग उत्पाद
-ऑटोमोबाइल पार्ट्स, मैकेनिकल उत्पाद, इंडस्ट्रियल केमिकल्स
-इन पर पहले 8%–18% तक टैरिफ था — अब छूट
-रोजगार सृजन + तकनीकी निवेश दोनों में मदद।
III. फार्मास्यूटिकल्स और हेल्थकेयर
-Generic दवाओं पर कोई "data exclusivity" नियम नहीं लागू।
-भारत के सस्ती लेकिन प्रभावशाली दवाइयाँ UK बाजार में आसानी से उपलब्ध होंगी।
-NHS (UK का सरकारी स्वास्थ्य तंत्र) के लिए भी फायदे का सौदा।
IV. समुद्री उत्पाद और कृषि वस्तुएँ
-झींगे, झींगा मछली, आम, मसाले, processed food को अब UK में आसानी से निर्यात किया जा सकेगा।
-भारत की पूर्वी और पश्चिमी तटीय मछुआरा कम्युनिटी को सीधा फायदा मिलेगा।
डिजिटल इंडिया और सेवा क्षेत्र को बढ़ावा
-UK ने IT सेवाओं, क्लाउड कंप्यूटिंग, फिनटेक, एडटेक जैसे क्षेत्रों में भारत को प्राथमिकता दी है।
-इससे Wipro, Infosys, Zoho, Freshworks जैसी कंपनियों को नया बाजार मिलेगा।
पेशेवरों को DCC राहत – नया आयाम
Double Contributions Convention (DCC):
-पहले UK में भारतीय पेशेवरों को UK और भारत – दोनों जगह सामाजिक सुरक्षा (pension, insurance) में योगदान देना पड़ता था।
-अब 3 साल तक सिर्फ भारत में देना होगा → UK में ₹4,000 करोड़ की बचत।
लाभार्थी क्षेत्र: IT, बैंकिंग, चिकित्सा, शिक्षा, योग शिक्षण
छोटे कारोबार (MSMEs) और ग्रामीण भारत
-अधिकतर MSMEs सीमित बजट में काम करते हैं।
-अब उन्हें टैरिफ बाधाओं से राहत मिलने से प्रतिस्पर्धा करने में आसानी होगी।
-महिला उद्यमियों और कारीगरों को हैंडीक्राफ्ट और खादी निर्यात में नया मौका।
चुनौतियाँ और सावधानियाँ
चिंता विवरण
राजस्व हानि- पहले वर्ष में अनुमानित ₹4,060 करोड़ का नुकसान कस्टम ड्यूटी से
IP नियम- पेटेंट अवधि, क्लिनिकल डेटा सुरक्षा पर निगरानी जरूरी
कृषि सुरक्षा- डेयरी, सेब, दाल जैसे उत्पादों को टैरिफ में छूट नहीं मिली — जिससे घरेलू बाजार सुरक्षित
व्यापार का नहीं, भरोसे का समझौता
-भारत–यूके CETA एक व्यापारिक सौदा भर नहीं है। यह एक साझा भविष्य की नींव है जिसमें दोनों देशों की संस्कृति, कौशल, नवाचार और व्यवसाय एक-दूसरे को सहयोग करेंगे।
-यह न सिर्फ निर्यात और रोज़गार बढ़ाएगा, बल्कि भारत को वैश्विक वैल्यू चेन का हिस्सा बनाने की दिशा में ठोस कदम है।
-CETA आने वाले वर्षों में RCEP, EU, और US के साथ भविष्य के समझौतों का भी मार्गदर्शक बन सकता है।
सोर्स- पीआईबी
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