संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2025 को अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष घोषित किए जाने के साथ, इस वर्ष का अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस “सहकारिता: बेहतर दुनिया के लिए समावेशी और संधारणीय समाधान” (Cooperatives: Driving Inclusive and Sustainable Solutions for a Better World) थीम के तहत मनाया जा रहा है। यह थीम सहकारी आंदोलन की उस शक्ति को रेखांकित करती है, जिससे स्थानीय से वैश्विक स्तर तक सामाजिक-आर्थिक बदलाव संभव हो रहे हैं।
वैश्विक परिप्रेक्ष्य: सहकारिता का बढ़ता महत्व
दुनिया भर में 3 मिलियन से अधिक सहकारी समितियां सक्रिय हैं, जिनमें 300 सबसे बड़ी समितियां 2,409.41 बिलियन अमेरिकी डॉलर का कारोबार करती हैं। ये समितियां कृषि, वित्त, आवास, स्वास्थ्य, शिक्षा, ऊर्जा, खुदरा, उद्योग और सेवाओं सहित हर क्षेत्र में सामाजिक न्याय, आर्थिक लोकतंत्र और पारिस्थितिकीय स्थिरता को आगे बढ़ा रही हैं।
संयुक्त राष्ट्र ने इस वर्ष को “Cooperatives Build a Better World” थीम के साथ मनाने का निर्णय लिया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सहकारी मॉडल सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को प्राप्त करने में कितना महत्वपूर्ण है।
भारत में सहकारिता: ग्रामीण समृद्धि की रीढ़
भारत में सहकारी समितियों का नेटवर्क 8.42 लाख तक पहुंच गया है, जो ग्रामीण विकास, कृषि, बैंकिंग, महिला सशक्तिकरण, आवास, परिवहन और उत्पादन जैसे विविध क्षेत्रों में काम कर रहा है। सरकार ने पैक्स (प्राथमिक कृषि ऋण समितियों) के कम्प्यूटरीकरण और बहुउद्देशीय सहकारी समितियों के विस्तार जैसे कई सुधार लागू किए हैं।
-67,930 पैक्स के कम्प्यूटरीकरण को मंजूरी
-18,183 नई बहुउद्देशीय पैक्स, डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियां पंजीकृत
-श्वेत क्रांति 2.0 के तहत अगले 5 वर्षों में दूध खरीद 50% बढ़ाने का लक्ष्य
-सहकारी बैंकों को नई शाखाएं खोलने, ग्रामीण आवास क्षेत्र को ऋण देने की अनुमति
-सहकारी चीनी मिलों के लिए 10,000 करोड़ रुपये की ऋण योजना
-सहकारी समितियों के लिए आयकर अधिभार और एमएटी में राहत
शिक्षा और नेतृत्व: त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय का शुभारंभ
केंद्रीय गृह मंत्री एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह 5 जुलाई, 2025 को गुजरात के आणंद में देश के पहले राष्ट्रीय सहकारी विश्वविद्यालय “त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय (टीएसयू)” का उद्घाटन किया। यह विश्वविद्यालय सहकारी क्षेत्र के पेशेवरों को तकनीकी, प्रशासनिक और प्रबंधन शिक्षा प्रदान करेगा, जिससे सहकारी आंदोलन को नई ऊर्जा और नेतृत्व मिलेगा।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत
2025 में नई दिल्ली में ICA ग्लोबल कोऑपरेटिव कॉन्फ्रेंस और जनरल असेंबली का आयोजन होगा, जिसमें दुनिया भर के सहकारी नेता और नीति निर्माता भाग लेंगे। यह आयोजन भारत की सहकारी शक्ति को वैश्विक मंच पर स्थापित करेगा।
सतत विकास और सामाजिक समावेशन
इस वर्ष की थीम और संयुक्त राष्ट्र की घोषणा के साथ, सहकारी समितियां सामाजिक समावेशन, गरीबी उन्मूलन, सतत विकास और समुदायों के सशक्तिकरण में अपनी भूमिका को और मजबूत कर रही हैं। CoopsDay 2025 के तहत दुनिया भर में सहकारी समितियां अपनी उपलब्धियों को साझा करेंगी, नई साझेदारियां बनाएंगी और वैश्विक चुनौतियों के समाधान में अपनी प्रतिबद्धता दोहराएंगी।
सहकारिता अब केवल एक आर्थिक मॉडल नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय, लोकतंत्र और स्थिरता का आधार बन चुकी है। अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस 2025 और अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के दौरान, भारत सहित पूरी दुनिया में सहकारी समितियां “सहकार से समृद्धि” के मंत्र को साकार करने और एक बेहतर, समावेशी, टिकाऊ भविष्य की ओर अग्रसर हैं।
सोर्स- पीआईबी
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