ऑस्ट्रेलिया के प्रमुख थिंक-टैंक लोवी इंस्टीट्यूट की ताज़ा एशिया पावर इंडेक्स 2025 रिपोर्ट ने भारत की बढ़ती ताकत पर आधिकारिक मुहर लगा दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले कुछ वर्षों में भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर जिस रफ्तार से अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है, वह अब आंकड़ों में भी साफ दिखने लगी है। इस बार भारत ने वह मुकाम छू लिया है, जिसका इंतज़ार लंबे समय से था—एशिया का ‘मेजर डिफेंस पावर’ बनना।
इस इंडेक्स में ‘मेजर पावर’ बनने के लिए 40 अंकों की आवश्यकता होती है। भारत ने 40.0 स्कोर के साथ यह लक्ष्य पूरा किया और जापान और रूस जैसे दिग्गजों को पछाड़ते हुए तीसरे स्थान पर पहुँच गया। पहले स्थान पर अमेरिका और दूसरे पर चीन हैं, लेकिन भारत की यह छलांग इस बात का संकेत है कि अब एशिया के शक्ति समीकरण पहले जैसे नहीं रहे।
इस बार भारत की सबसे बड़ी ताकत उसके डिफेंस सेक्टर में देखी गई। रिपोर्ट साफ बताती है कि भारत अब एशिया की तीसरी सबसे बड़ी सैन्य शक्ति बन गया है। यह उछाल अचानक नहीं आया। मई में किए गए ऑपरेशन सिंदूर ने न सिर्फ पाकिस्तान को कड़ा जवाब दिया, बल्कि दुनिया को भी यह दिखाया कि भारत अब केवल ‘रिएक्टिव’ नहीं, बल्कि प्रोएक्टिव मिलिट्री पावर है। यही वजह है कि पाकिस्तान इंडेक्स में फिसलकर 16वें स्थान पर पहुंच गया।
रक्षा क्षमता के
साथ-साथ भारत की आर्थिक स्थिति और भविष्य के संसाधन भी तेजी से मजबूत
हुए हैं। रिपोर्ट के अनुसार भारत अब अमेरिका के बाद एशिया का दूसरा सबसे आकर्षक
निवेश केंद्र है।
एक तेज़, युवा और तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था भारत को इस
रैंकिंग में ऊपर ले जाने की सबसे बड़ी वजह बनी है।
भारत की विदेश नीति और कूटनीति को भी लोवी इंस्टीट्यूट ने सकारात्मक रूप से आंका है। IFS की गुणवत्ता में सुधार, बेहतर एयर कनेक्टिविटी, बढ़ता टूरिज्म और विदेशों में बसे भारतीयों का बढ़ता प्रभाव—इन सबने मिलकर भारत के सांस्कृतिक प्रभाव (Soft Power) को मजबूत किया है। इसका असर यह हुआ कि भारत की छवि सिर्फ एक सैन्य शक्ति नहीं, बल्कि एक कूटनीतिक और सांस्कृतिक शक्ति के रूप में भी मजबूत हुई है।
एशिया पावर इंडेक्स 2025 साफ दिखाता है कि एशिया में शक्ति संतुलन बदल रहा है। अमेरिका का स्कोर गिरना, चीन का दबदबा कम होना और भारत की स्थिर प्रगति—इन सबके बीच भारत एक स्टेबल, राइजिंग और इनफ्लुएंशियल पावर बनकर उभर रहा है। मोदी सरकार में मिली यह नई अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि उस बदलाव और आत्मविश्वास की पहचान है जो भारत आज महसूस कर रहा है।

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