भारत की रेलवे इंडस्ट्री ने बीते कुछ सालों में पूरी दुनिया में अपना डंका बजा दिया है। 'मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड' की सोच के साथ अब भारत सिर्फ अपने देश के लिए ही नहीं, बल्कि कई इंटरनेशनल प्रोजेक्ट्स के लिए भी बोगी, कोच, रेलवे इंजन और ऑपरेशन सिस्टम बना रहा है।
हाल ही में केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने गुजरात के वडोदरा स्थित एल्सटॉम के सावली संयंत्र का दौरा किया। यह प्लांट भारत में रेलवे मैन्युफैक्चरिंग का जबरदस्त हब बन चुका है, जहां हर ऑर्डर की जरूरतों के हिसाब से कस्टमाइज्ड रेल उत्पाद तैयार किए जाते हैं। मंत्री ने अल्सटॉम की इनोवेटिव वर्किंग स्टाइल की तारीफ की और कहा कि भारतीय रेलवे भी इससे सीख सकता है।
सावली प्लांट में बनीं ट्रेनें और कलपुर्ज़े ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, यूके, सऊदी अरब, फ्रांस, ब्राज़ील, मिस्र, स्वीडन, जर्मनी, ऑस्ट्रिया और कई अन्य देशों में एक्सपोर्ट हो रही हैं। इनमें सिर्फ बोगी या कोच ही नहीं, बल्कि ऑपरेशनल पावर सिस्टम्स और डिजिटल सिग्नलिंग टेक्नोलॉजी भी शामिल है। खास बात यह है कि भारत के 3,400 से ज़्यादा इंजीनियर अब 21 ग्लोबल प्रोजेक्ट्स में हिस्सा ले रहे हैं, जिससे न सिर्फ टॉप क्वालिटी की ट्रेनें बन रही हैं, बल्कि इंडियन इंजीनियर्स भी इंटरनेशनल लेवल की एक्सपर्टीज़ गेन कर रहे हैं।
यह सब 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' स्कीम्स की वजह से मुमकिन हुआ है। रेल मंत्री के मुताबिक, इंडिया से रेलवे से जुड़े प्रोडक्ट्स के एक्सपोर्ट की वजह से देश में रोजगार के नए मौके भी बन रहे हैं।
हाईलाइट्स एक नजर में:
-भारत ने अब तक 3,800 से ज्यादा बोगियां, 4,000 से ज्यादा फ्लैटपैक (मॉड्यूल) और 1,002 ट्रेन कोच इंटरनेशनल प्रोजेक्ट्स के लिए एक्सपोर्ट किए हैं।
-मेट्रो कोच ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, यात्री कोच मोज़ाम्बिक, बांग्लादेश, श्रीलंका; इंजन मोजाम्बिक, सेनेगल, श्रीलंका, म्यांमार, बांग्लादेश और गिनी को भेजे गए हैं।
-ऑपरेशनल पावर सिस्टम्स फ्रांस, मैक्सिको, रोमानिया, स्पेन, जर्मनी, इटली जैसे देशों को सप्लाई किए गए हैं।
-भारत में बनी डिजिटल सिग्नलिंग और आईओटी-एआई टेक्नोलॉजी अब पूरी दुनिया में लागू की जा रही है। बेंगलौर का डिजिटल एक्सपीरियंस सेंटर 120 से अधिक ग्लोबल प्रोजेक्ट्स में सीधे जुड़ा है।
-सावली प्लांट के पास मजबूत सप्लाई चेन तैयार की गई है, जिसमें इंटीग्रा, एनोवी, हिंद रेक्टिफायर, हिताची एनर्जी, एबीबी जैसे विशेषज्ञ शामिल हैं।
ये बदलाव सिर्फ तकनीकी स्तर पर नहीं, बल्कि भारत के युवाओं और इंजीनियर्स के लिए भी नए स्किल, ट्रेनिंग और प्रगति के रास्ते खोल रहे हैं। मंत्री ने वादा किया है कि देश की हर रेल उत्पादन यूनिट के जीएम को भी सावली प्लांट भेजकर ऐसे अनुभव दिए जाएंगे, जिससे रेलवे को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया जा सके।
भारत की रेलवे अब "मेक इन इंडिया" से आगे बढ़कर दुनिया के लिए "मेक फॉर द वर्ल्ड" बन चुकी है—और इसमें हमारे इंजीनियर्स, टेक्नोलॉजी और मेहनत की चमक सबसे ज्यादा है!
सोर्स पीआईबी
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