कांग्रेस नेता राहुल गांधी एक बार फिर अपने बयान को लेकर घिरे हुए हैं। इस बार उन्होंने देश के पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली को लेकर ऐसी टिप्पणी की जिसे राजनीतिक हलकों में 'असंवेदनशील और अशोभनीय' बताया गया। यह पहला मौका नहीं है जब राहुल गांधी ने विवादित टिप्पणी की हो। इससे पहले भी वे कई बार अपने बयानों के कारण विवादों में फंस चुके हैं। इससे लगता है कि क्या राहुल गांधी भी अब विवादित- अनर्गल बयान देने के मामले में अरविंद केजरीवाल की राह पर चल पड़े हैं, जहां चौंकाने वाले बयान, सार्वजनिक आलोचना और बाद में माफी एक पैटर्न बन गया है?
ताजा मामले में लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के एक बयान ने राजनीतिक हलकों में बवाल मचा दिया है। राहुल गांधी ने दावा किया कि जब वे कृषि कानूनों के खिलाफ लड़ रहे थे, तब दिवंगत वित्त मंत्री अरुण जेटली को उन्हें धमकाने के लिए भेजा गया था। राहुल गांधी ने कहा है कि "मुझे याद है जब मैं कृषि कानूनों के खिलाफ लड़ रहा था, तो अरुण जेटली जी को मुझे धमकाने के लिए भेजा गया था। उन्होंने मुझसे कहा था, 'अगर आप सरकार का विरोध करते रहे, कृषि कानूनों के खिलाफ लड़ते रहे, हमें तुम्हारे खिलाफ कार्रवाई करनी पड़ेगी'। मैंने उनकी तरफ देखा और कहा, 'मुझे नहीं लगता कि आपको पता है कि आप किससे बात कर रहे हो।'"
कृषि कानून आने से कम से कम एक साल पहले श्री जेटली का निधन हो गया था, फिर भी राहुल गांधी झूठ बोलने और दमनकारी शासन से लड़ने वाले रक्षक के रूप में खुद को पेश करने के लिए उनके नाम का हवाला दे रहे हैं।
— Geeta Sharma (@Geetuk29) August 2, 2025
यह पहली बार नहीं है जब उन्होंने राजनीतिक लाभ के लिए किसी मृत भाजपा नेता को घसीटा… pic.twitter.com/tlpnnyhvq3
इस बयान ने तुरंत ही विवाद और आलोचना को जन्म दे दिया, क्योंकि अरुण जेटली का निधन अगस्त 2019 में हुआ था, जबकि कृषि कानून संसद में सितंबर 2020 में पारित हुए थे। यानि जिस समय की बात राहुल गांधी कर रहे हैं, उस वक्त जेटली जीवित ही नहीं थे। इस पर अरुण जेटली के बेटे और वरिष्ठ वकील रोहन जेटली ने राहुल गांधी के बयान को "झूठ, असंवेदनशील और अपमानजनक" करार दिया। उन्होंने कहा कि "राहुल गांधी दावा कर रहे हैं कि मेरे दिवंगत पिता ने उन्हें कृषि कानूनों को लेकर धमकाया था। मैं उन्हें याद दिला दूं कि मेरे पिता का देहांत 2019 में हुआ था। कृषि कानून 2020 में लाए गए थे। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि मेरे पिता के स्वभाव में किसी को धमकाना नहीं था।"
रोहन जेटली ने आगे कहा कि "वह एक कट्टर लोकतांत्रिक व्यक्ति थे और हमेशा सहमति बनाने के पक्षधर थे। अगर कभी कोई असहमति होती भी, तो वे खुले और विनम्र संवाद की बात करते थे। उनकी यही लोकतांत्रिक विरासत है। राहुल गांधी को उन लोगों के बारे में बोलते समय सावधानी बरतनी चाहिए, जो अब हमारे बीच नहीं हैं।" उन्होंने यह भी याद दिलाया कि राहुल गांधी पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के अंतिम दिनों को भी राजनीतिक रंग देने की कोशिश कर चुके हैं, जो "बेहद घटिया था"।
Rahul Gandhi now claims my late father, Arun Jaitley, threatened him over the farm laws.
— Rohan Jaitley (@rohanjaitley) August 2, 2025
Let me remind him, my father passed away in 2019. The farm laws were introduced in 2020. More importantly, it was not in my father's nature to threaten anyone over an opposing view. He was a…
यह कोई पहला मौका नहीं है जब राहुल गांधी अपनी टिप्पणी को लेकर विवादों में घिरे हों। राहुल गांधी ने राफेल डील पर पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर (2019) को लेकर दावा किया था कि पर्रिकर ने उन्हें निजी बातचीत में कुछ "महत्वपूर्ण बात" बताई थी। उस समय कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कथित रूप से राफेल सौदे को लेकर पर्रिकर के नाम का राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश की थी। उन्होंने दावा किया कि पर्रिकर ने उनसे निजी बातचीत में राफेल सौदे पर 'सच' बताया था। भाजपा ने राहुल की इस हरकत को 'नीच स्तर की राजनीति' करार दिया। राहुल गांधी को बाद में सफाई देनी पड़ी और मीडिया में इसे 'गलतफहमी' बताया।
‘चौकीदार चोर है’ मामले में राहुल गांधी माफी तक मांग चुके हैं। राहुल गांधी ने राफेल सौदे में घोटाला होने का दावा कर 2019 लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान ‘चौकीदार चोर है’ का नारा दिया था। उन्होंने यह भी कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने भी मान लिया है कि चौकीदार चोर है। इस मामले में जब मानहानि का केस दर्ज हुआ तो सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने माफी मांग ली।
"मोदी सरनेम" केस में उन्होंने माफी मांग ली थी। राहुल गांधी ने 13 अप्रैल 2019 को कर्नाटक में चुनावी रैली में ‘मोदी सरनेम’ पर कहा था, ‘नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी का सरनेम कॉमन क्यों है? सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है?’ इस पर एक बीजेपी विधायक ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर कर दिया। सूरत सेशन कोर्ट ने राहुल गांधी को दोषी करार दिया। उन्हें दो साल की सजा सुनाई गई। फिर सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद उन्होंने माफी मांग ली थी।
इतना ही नहीं एक बयान में उन्होंने आरएसएस को महात्मा गांधी की हत्या से जोड़ दिया था। इसके अलावा एक बार उन्होंने उत्तर भारत के मुकाबले केरल को ‘ज्यादा समझदार’ बताने पर आलोचना के बाद खेद जताई थी।
अब अरुण जेटली के निधन के बाद उनसे जुड़े बयान के कारण राहुल गांधी की आलोचना हो रही है। बताया जाता है कि राहुल गांधी आक्रामक बयानबाजी के जरिए लोगों को झकझोरना चाहते हैं, लेकिन जब तथ्यों का टकराव होता है, तो यह रणनीति उलटी पड़ जाती है। विपक्ष के नेता की ओर से ऐसी छोटी सी भी गलतियां उनकी विश्वसनीयता और गंभीरता पर सवाल खड़े करती हैं।ऐसे में सवाल उठता है कि क्या राहुल गांधी "केजरीवाल मॉडल" की ओर बढ़ रहे हैं? आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, जो कभी अपनी आक्रामक और भड़काऊ राजनीति के लिए जाने जाते थे, अक्सर चौंकाने वाले आरोप लगाते और बाद में माफी मांगते रहे हैं। उन्होंने नितिन गडकरी, कपिल सिब्बल, अरुण जेटली, अमित शाह जैसे नेताओं पर आरोप लगाकर मानहानि के मुकदमों में माफीनामे दिए। कांग्रेस नेता भी अपने बयानों से उसी तरफ बढ़ते दिख रहे हैं। राहुल गांधी की इस तरह की बयानबाजी उनकी राजनीतिक परिपक्वता पर सवाल खड़े करती है।
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