क्या आपने कभी सोचा है कि एक वैज्ञानिक का दिन कैसा होता है? प्रयोगशालाएं, शोध, सवाल और समाधान – यह सब सिर्फ किताबों तक ही सीमित नहीं है। अब देश के हजारों छात्रों ने इसे अपनी आंखों से देखा, अनुभव किया और महसूस भी किया, वो भी सीधे भारत के अग्रणी वैज्ञानिक संस्थानों में।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा 7 और 8 अगस्त 2025 को "शाइन (SHINE)" – Science and Health Innovation for Next-Gen Researchers – नामक एक अनूठी पहल के तहत देशभर में 13,000 से अधिक छात्रों को यह मौका दिया गया कि वे विज्ञान की दुनिया को नजदीक से जानें और महसूस करें।
आयोजन का दायरा और भागीदारी
-कार्यक्रम में 16 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 39 जिलों के 300 से अधिक विद्यालयों के छात्रों ने भाग लिया।
-कक्षा 9 से 12 तक के 13,150 छात्र देशभर के ICMR संस्थानों और ग्रामीण स्वास्थ्य अनुसंधान इकाइयों (MRHRU) तक पहुंचे।
यह आयोजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के "एक दिन वैज्ञानिक बनो" आह्वान की प्रेरणा से हुआ, जो छात्रों को विज्ञान की ओर आकर्षित करने का प्रयास है।
प्रयोगशालाओं की सैर और संवादात्मक गतिविधियाँ
इस कार्यक्रम की सबसे खास बात थी – अनुभव आधारित शिक्षण। छात्र केवल दर्शक नहीं थे, बल्कि वे सीधे प्रयोगों, शोध प्रदर्शनों और वैज्ञानिक चर्चाओं में शामिल हुए। प्रमुख गतिविधियों में शामिल थे:
-निर्देशित प्रयोगशाला भ्रमण
-रिसर्च एक्ज़िबिशन और पोस्टर वॉक
-वर्तमान वैज्ञानिक परियोजनाओं का लाइव प्रदर्शन
-वीडियो प्रस्तुतियाँ और इंटरएक्टिव सत्र
छात्रों को वैज्ञानिकों से सीधे संवाद करने का अवसर मिला। उन्होंने पूछा, समझा और सीखा – विज्ञान की भाषा में, लेकिन सरल और प्रेरणादायक तरीके से।
एक वैज्ञानिक के रूप में सोचने की प्रेरणा
ICMR के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने इस पहल को "वैज्ञानिक जिज्ञासा को जगाने और युवाओं को विज्ञान की ओर प्रेरित करने का एक अनूठा प्रयास" बताया।
उन्होंने छात्रों से कहा – "आज का दिन केवल भ्रमण का नहीं है, बल्कि अपने भीतर एक वैज्ञानिक को पहचानने और उसे आगे बढ़ाने का निमंत्रण है।"
उन्होंने यह भी बताया कि कैसे भारत की चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को मजबूत करने में वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं की भूमिका निर्णायक है – और अब यह जिम्मेदारी भविष्य की पीढ़ी की है।
विशेष फिल्में और शुभंकर ‘डॉ. क्यूरियो’
कार्यक्रम के दौरान छात्रों ने ICMR की प्रमुख पहलों पर आधारित चार लघु फिल्में भी देखीं:
-कोवैक्सीन – भारत का स्वदेशी कोविड-19 टीका
-IDRON पहल – नवाचार से स्वास्थ्य सेवा में क्रांति
-टीबी उन्मूलन – भारत का संकल्प
-विष्णु युद्ध अभ्यास – महामारी के लिए तैयार रहने की मॉक ड्रिल
इसके अलावा, छात्रों की उत्सुकता को और भी मजेदार बनाने के लिए डॉ. क्यूरियो नामक एक शुभंकर भी पूरे कार्यक्रम का हिस्सा रहा। यह मिलनसार पात्र पूरे समय छात्रों का मार्गदर्शन करता रहा और विज्ञान को रोचक बनाने का जरिया बना।
एक खास दिन – एक महान वैज्ञानिक की याद में
8 अगस्त को यह आयोजन और भी खास बन गया क्योंकि यह डॉ. वुलिमिरी रामलिंगस्वामी की 104वीं जयंती थी। वे ICMR के पूर्व महानिदेशक और भारत के चिकित्सा क्षेत्र के एक महान योगदानकर्ता रहे हैं। इस दिन को छात्रों के लिए विज्ञान के महत्व को समझाने का प्रेरणादायक अवसर बनाया गया।
विज्ञान, उत्सुकता और उज्जवल भविष्य की ओर
ICMR की शाइन पहल केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक दृष्टिकोण है – भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में युवाओं को विज्ञान से जोड़ने की प्रेरणा।
छात्रों को यह सिखाया गया कि प्रश्न पूछना, समझना और खोज करना ही विज्ञान की आत्मा है।
और शायद, इन्हीं में से कोई एक छात्र भविष्य में भारत का अगला महान वैज्ञानिक बनेगा – जो नई खोज करेगा, समाज को बेहतर बनाएगा और देश को आगे ले जाएगा।
आपने भी कभी सोचा है कि अगर एक दिन के लिए वैज्ञानिक बनें, तो क्या करेंगे?
कमेंट में बताएं, और इस पोस्ट को उन छात्रों के साथ शेयर करें जिन्हें विज्ञान में दिलचस्पी है!
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