आज का भारत आत्मनिर्भर बनने की दिशा में तेज़ी से कदम बढ़ा रहा है, और खेती-बाड़ी इसमें सबसे बड़ा रोल निभा रही है। अच्छी फसल के लिए ज़रूरी तीन चीज़ें हैं: बढ़िया बीज, भरपूर पानी और सही मात्रा में उर्वरक। खासकर उर्वरक तो जैसे खेती की जान हैं! और जब सरकार ही उर्वरकों को लेकर इतने बड़े-बड़े कदम उठा रही हो, तो कह सकते हैं कि "अमृतकाल" सच में खेती के लिए सुनहरा समय है।
उर्वरक के मामले में भारत अब कहां खड़ा है?
-भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उर्वरक उपभोक्ता और तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।
-2023-24 में 314 लाख मीट्रिक टन यूरिया का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ।
-पिछले 6 सालों में 6 नए यूरिया प्लांट चालू हुए हैं, जिससे उत्पादन क्षमता 76.2 एलएमटी बढ़ गई।
सरकार दे रही है जबरदस्त सब्सिडी
-2024-25 के बजट में उर्वरक विभाग को ₹1.91 लाख करोड़ का बजट मिला है।
-इसमें से सिर्फ फॉस्फेट और पोटाशिक उर्वरकों के लिए ₹54,310 करोड़ की पोषक तत्व आधारित सब्सिडी दी गई है।
-यूरिया अभी भी ₹242 प्रति 45 किलो की दर से मिल रहा है – और यह दर 2018 से नहीं बदली है!
नई तकनीक और पहल
नैनो उर्वरक:
-ये छोटे-छोटे कणों में पोषक तत्व होते हैं जो पौधों को धीरे-धीरे मिलते हैं।
-इससे उर्वरक की बर्बादी कम होती है और उत्पादन ज़्यादा।
नीम कोटेड यूरिया:
-इससे नाइट्रोजन धीरे-धीरे रिलीज़ होती है और फसल को लंबे समय तक पोषण मिलता है।
ड्रोन वाला क्रांति
-नमो ड्रोन दीदी योजना के तहत 15,000 महिलाओं को ड्रोन दिए जा रहे हैं, ताकि वे खेतों में आसानी से उर्वरक और कीटनाशक छिड़क सकें।
डिजिटल इंडिया का असर उर्वरकों में भी
-IFMS (Integrated Fertilizer Management System):
-हर थैली की मूवमेंट पर नजर।
MFMS App:
किसान मोबाइल पर ही देख सकते हैं कि किस डीलर के पास कौन सा उर्वरक उपलब्ध है।
देश ही नहीं, विदेश में भी भारत की मजबूत पकड़
भारत ने सऊदी अरब, श्रीलंका, भूटान और नेपाल जैसे देशों से दीर्घकालिक समझौते किए हैं, ताकि उर्वरकों की सप्लाई में कोई रुकावट न आए।
संतुलित खेती के लिए बड़ी पहलें
PM-PRANAM योजना:
जो राज्य रासायनिक उर्वरकों का कम उपयोग करेंगे, उन्हें सरकार से प्रोत्साहन मिलेगा।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड:
किसानों को पता चले कि उनकी ज़मीन को कौन-सा पोषक तत्व चाहिए।
जैविक और जैव उर्वरकों का बढ़ावा:
पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए अब ऑर्गेनिक खेती को बढ़ाया जा रहा है।
भारत की उर्वरक नीति अब सिर्फ "उत्पादन" तक सीमित नहीं है, बल्कि अब बात हो रही है स्मार्ट, टिकाऊ और किसानों के लिए फायदेमंद खेती की।
"अमृतकाल" में भारत का सपना है कि किसान आत्मनिर्भर बनें, मिट्टी स्वस्थ रहे और उपज ज़्यादा हो।
सरकार की यह योजनाबद्ध नीति न केवल खेती को नई ऊंचाई तक ले जा रही है, बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा और अर्थव्यवस्था को भी मज़बूत बना रही है।
आपका क्या सोचना है?
क्या आपने अपने खेत में नैनो उर्वरक या ड्रोन का इस्तेमाल किया है? कमेंट करके जरूर बताइए!
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