ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ओएनडीसी- ONDC) ने भारत के ई-कॉमर्स परिदृश्य में ऐतिहासिक बदलाव किया है। यह पहल न केवल छोटे एवं मध्यम व्यवसायों (MSME) को सशक्त बना रही है, बल्कि पारंपरिक ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स की सीमाओं को तोड़कर खरीदारों के लिए अधिक विकल्प और प्रतिस्पर्धी मूल्य उपलब्ध करा रही है।
छोटे व्यवसायों का सशक्तिकरण
सीधे ग्राहक पहुँच: ओएनडीसी के माध्यम से छोटे विक्रेता—चाहे वह स्वयं सहायता समूह, कारीगर या ग्रामीण उद्यमी हों—सीधे देशभर के खरीदारों तक पहुँच सकते हैं। यह मॉडल MSME, महिला-नेतृत्व वाले व्यवसायों और सामाजिक क्षेत्र के विक्रेताओं के लिए डिजिटल कॉमर्स को सुलभ बनाता है।
कम लागत: ओएनडीसी पर ग्राहक अधिग्रहण और लेन-देन की लागत परंपरागत प्लेटफॉर्म्स से कम है, क्योंकि यहाँ किसी एक कंपनी का एकाधिकार नहीं है और बिचौलियों की भूमिका सीमित हो जाती है।
भाषायी और तकनीकी सुविधा: ओएनडीसी ने 5 भाषाओं में "सहायक" व्हाट्सएप बॉट लॉन्च किया है और 22 भाषाओं में विस्तार की योजना है, जिससे हर क्षेत्र और भाषा के व्यवसायी को समान लाभ मिल सके।
महिलाओं का विशेष ध्यान: TEAM योजना के तहत, ओएनडीसी पर ऑनबोर्ड होने वाले 50% लाभार्थी महिला-नेतृत्व वाले उद्यम होंगे, जिससे महिला उद्यमिता को बढ़ावा मिलेगा।
साझेदारियाँ: सिडबी-नाबार्ड जैसी संस्थाएँ SHG और सामाजिक विक्रेताओं को प्रशिक्षण, वित्त और तकनीकी सहायता प्रदान कर रही हैं।
लागत में कमी और अधिक विकल्प
प्रतिस्पर्द्धी शुल्क: ओएनडीसी के विकेन्द्रीकृत मॉडल में प्रतिस्पर्धा अधिक होने से लेनदेन शुल्क कम रहता है। विक्रेता अपनी शर्तों पर मूल्य निर्धारण कर सकते हैं, जिससे खरीदारों को बेहतर मूल्य मिलता है।
प्रमुख अंतर-संचालन: एक बार ऑनबोर्ड होने पर, कोई भी विक्रेता सभी ONDC-समर्थित खरीदार एप्लिकेशन में खोज योग्य हो जाता है। यह बाज़ार पहुँच का दायरा बढ़ाता है।
विविधता और समावेशिता: छोटे कारीगर, स्थानीय उत्पादक, महिला उद्यमी और क्षेत्रीय ब्रांड ONDC के माध्यम से अब राष्ट्रीय स्तर पर अपने उत्पाद बेच सकते हैं। eSaras जैसे प्लेटफ़ॉर्म 800+ SHG उत्पाद ONDC पर ला चुके हैं, जिससे ग्रामीण उत्पाद भी डिजिटल बाज़ार में उपलब्ध हो सके हैं।
खरीदारों के लिए फायदे
अधिक विकल्प: ONDC मॉडल के तहत खरीदारों को विभिन्न पारंपरिक और नए विक्रेताओं, स्थानीय और क्षेत्रीय उत्पादों तथा नई वस्तुओं तक सीधा पहुँच मिलती है।
वास्तविक प्रतिस्पर्धा: विविध और छोटे विक्रेताओं की भागीदारी से उत्पादों की कीमतें प्रतिस्पर्धी हो जाती हैं, जिससे उपभोक्ताओं को सीधा लाभ मिलता है।
डिजिटल समावेशन: ONDC दूर-दराज़ के उपभोक्ताओं और ग्रामीण-शहरी विभाजन को कम करता है, जिससे हर भारतीय को ई-कॉमर्स की सुविधा मिलती है।
सरकार और विभिन्न संगठनों की भूमिका
TEAM और अन्य योजनाएँ: MSME मंत्रालय व महिला-नेतृत्व वाले उद्यमों के लिए विशेष योजनाएँ संचालित कर रहा है।
eSaras, हिमाचल का हिमइरा, आंध्र प्रदेश की पहल: राज्य व केंद्र सरकार छोटे व्यवसायों व कारीगरों को ONDC नेटवर्क से जोड़ने के लिए सक्रिय हैं।
सीएससी के माध्यम से गाँवों की भागीदारी: Common Service Centers (CSC) के माध्यम से ग्रामीण भारत डिजिटल कॉमर्स से जुड़ रहा है।
ओएनडीसी भारतीय ई-कॉमर्स को विकेंद्रीकृत, इंटरऑपरेबल और समावेशी बनाकर न केवल छोटे व्यवसायों को शक्ति दे रहा है, बल्कि खरीदारों के लिए भी नए अवसर, विकल्प और प्रतिस्पर्धी मूल्य उपलब्ध करा रहा है। इससे भारत का डिजिटल वाणिज्य सचमुच 'सबका साथ, सबका विकास' के अनुरूप बन रहा है।
सोर्स पीआईबी
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