भारत की यूपीआई क्रांति: डिजिटल भुगतान में वैश्विक नेतृत्व का सफर

भारत आज डिजिटल भुगतान की दुनिया में एक क्रांतिकारी बदलाव का केंद्र बन चुका है। डिजिटल भुगतान व्यवस्था में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) ने एक अभूतपूर्व क्रांति ला दी है। यह क्रांति केवल तकनीकी नवाचार नहीं, बल्कि वित्तीय समावेशन, डिजिटल आधार, और कनेक्टिविटी के संयुक्त प्रयास का परिणाम है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, UPI ने देश को तेज़ भुगतान प्रणाली में विश्व का अग्रणी नेता बना दिया है।


UPI का परिचय और महत्व
UPI को 2016 में नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने लॉन्च किया था। यह एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जो विभिन्न बैंक खातों को एक मोबाइल ऐप के माध्यम से जोड़कर तेजी से, सरल और सुरक्षित लेनदेन संभव बनाता है। इसके ज़रिए कोई भी व्यक्ति या व्यवसायी तुरंत पैसे भेज या प्राप्त कर सकता है, जिससे नकदी और कार्ड आधारित भुगतान की निर्भरता कम हुई है।

आंकड़ों में यूपीआई की सफलता

जून 2025 में, यूपीआई ने 18.39 अरब से अधिक ट्रांजैक्शन किए, जिनका मूल्य ₹24.03 लाख करोड़ से अधिक था। यह पिछले वर्ष के समान महीने में 13.88 अरब ट्रांजैक्शन की तुलना में करीब 32 प्रतिशत की वृद्धि है। आज यूपीआई भारत के डिजिटल लेन-देन का 85 प्रतिशत हिस्सा नियंत्रित करता है, जिसमें 491 मिलियन उपयोगकर्ता और 65 मिलियन व्यापारी जुड़े हैं, और 675 बैंक इस नेटवर्क से जुड़े हैं। इसके रोजाना 640+ मिलियन ट्रांजैक्शन वीज़ा के 639 मिलियन से भी अधिक हैं।

वित्तीय समावेशन और डिजिटल आधार
UPI की सफलता का एक महत्वपूर्ण स्तंभ प्रधानमंत्री जन धन योजना है, जिसके तहत 55.83 करोड़ से अधिक बैंक खाते खोले गए हैं, जिनसे पहले कभी औपचारिक बैंकिंग सेवाओं का लाभ नहीं ले रहे थे। साथ ही, आधार ने प्रत्येक नागरिक को बायोमेट्रिक आधारित विशिष्ट डिजिटल पहचान प्रदान की है, जिससे भुगतान प्रणाली और भी अधिक विश्वसनीय और सुरक्षित बनी है।

डिजिटल कनेक्टिविटी और तकनीकी आधार
भारत ने 5G नेटवर्क त्वरित गति से स्थापित किया है, जो सघन कनेक्टिविटी प्रदान करता है। इंटरनेट डेटा की लागत भी काफी कम हुई है, जिससे लाखों और लोग डिजिटल भुगतान प्रणालियों से जुड़ सके हैं। यह डिजिटल बुनियादी ढांचा यूपीआई के त्वरित प्रसार और उपयोग में सहायक रहा है।

वैश्विक विस्तार और प्रभाव
UPI की सफलता न केवल भारत तक सीमित है, बल्कि यह संयुक्त अरब अमीरात, सिंगापुर, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, फ्रांस और मॉरिशस जैसे सात देशों में भी सक्रिय है। फ्रांस में यूपीआई का प्रवेश यूरोप में इसकी पहली पेशकश है, जिससे भारत के प्रवासियों को बिना विदेशी भुगतान की जटिलताएं झेले आसानी से भुगतान की सुविधा मिलती है। भारत BRICS समूह में भी यूपीआई को मानक बनाने की पहल कर रहा है, जिससे रेमिटेंस में सुधार, वित्तीय समावेशन में वृद्धि और वैश्विक डिजिटल भुगतान क्षेत्र में भारत की भूमिका और मजबूत होगी।

इंटरऑपरेबिलिटी और नवाचार
UPI की सबसे बड़ी खासियत है इसकी इंटरऑपरेबिलिटी, जो विभिन्न बैंकों और ऐप्स को एक प्लेटफॉर्म पर जोड़ती है। इससे उपयोगकर्ता अपनी पसंद के किसी भी यूपीआई ऐप का उपयोग कर सकेंगे और भुगतान कर सकेंगे, बिना बैंक या ऐप की सीमाओं की चिंता किए। इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ी है और सेवाओं की गुणवत्ता भी। सरकार निरंतर नई तकनीकों और नवाचारों को प्रोत्साहित कर यूपीआई को दूरदराज के क्षेत्रों तक पहुँचाने में लगी हुई है।

UPI ने बदल दी रोजमर्रा की जिंदगी

UPI ने भुगतान को हर किसी की पहुंच में ला दिया है। 24x7 उपलब्धता, तुरंत भुगतान, क्यूआर कोड से भुगतान की सुविधा, डिलीवरी पर कैश की चिंता का खत्म होना, और समस्या आने पर ऐप के माध्यम से आसानी से शिकायत दर्ज कराना इसे बेहद उपयोगी बनाते हैं। सामान्य नागरिक से लेकर छोटे व्यवसायी तक, सभी यूपीआई का भरोसेमंद माध्यम मानते हैं।

भारत की यूपीआई क्रांति एक सफलता की कहानी है, जिसने डिजिटल भुगतान को देश की अर्थव्यवस्था का अभिन्न हिस्सा बना दिया है। यह केवल एक तकनीकी मंच नहीं, बल्कि वित्तीय समावेशन, नवाचार और कनेक्टिविटी के मिश्रण से बना एक व्यापक पारिस्थितिकी तंत्र है, जो भारत को वैश्विक डिजिटल वित्त के मानचित्र पर शीर्ष पर स्थापित करता है। वैश्विक विस्तार के साथ यूपीआई डिजिटल फाइनेंस के भविष्य में एक ग्लोबल मानक भी बनता जा रहा है।

सोर्स पीआईबी

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