क्या आपने कभी आसमान की तरफ देखा है और सोचा है – "वहां क्या है?"
अगर हां, तो आप अकेले नहीं हैं! सदियों से हम भारतीय आसमान को निहारते रहे हैं, सवाल पूछते रहे हैं और सितारों में छिपे रहस्यों को समझने की कोशिश करते रहे हैं।
इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए, भारत ने इस बार 18वें इंटरनेशनल ओलंपियाड ऑन एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स (IOAA) की मेजबानी की। 64 देशों से आए 300 से ज्यादा युवा "सितारे", यानी छात्र-प्रतिभागी इसमें हिस्सा ले रहे हैं। और इस खास मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक दमदार वीडियो संदेश देकर सबका दिल जीत लिया।
विज्ञान और विरासत का संगम
मोदी जी ने अपने संदेश की शुरुआत एक बहुत खूबसूरत बात से की – “भारत में परंपरा का मिलन नवाचार से होता है, अध्यात्म का विज्ञान से और जिज्ञासा का रचनात्मकता से।”
यानी हमारे यहां पुराने ज्ञान और नए विज्ञान का गजब का मेल है।
उन्होंने आर्यभट्ट को याद किया, जिन्होंने 5वीं शताब्दी में शून्य का आविष्कार किया और सबसे पहले बताया कि पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती है। सोचिए! जब पूरी दुनिया को सूरज ही सबका राजा लगता था, भारत तब ब्रह्मांड की गहराइयों को समझ रहा था।
लद्दाख की वेधशाला और तारों से दोस्ती
मोदी जी ने बताया कि लद्दाख में भारत की एक खगोलीय वेधशाला है, जो समुद्र तल से 4,500 मीटर की ऊंचाई पर है। यानी आप सचमुच तारों से हाथ मिला सकते हैं!
इसके अलावा, पुणे का रेडियो टेलीस्कोप दुनिया के सबसे शक्तिशाली टेलीस्कोपों में से एक है, जो पल्सर, क्वासर और गैलेक्सी के रहस्यों को समझने में मदद कर रहा है।
चांद, सूरज और अंतरिक्ष की कहानियां
अगर आप सोच रहे हैं कि भारत सिर्फ पुराने ज्ञान पर ही गर्व करता है, तो जरा रुकिए। मोदी जी ने याद दिलाया कि भारत चंद्रयान-3 के जरिए चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बन चुका है।
हमने आदित्य-एल1 मिशन के जरिए सूरज की गतिविधियों पर भी नजर रखनी शुरू कर दी है। और सबसे ताजा खबर? ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने हाल ही में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) तक अपनी ऐतिहासिक यात्रा पूरी की है!
बच्चों और युवाओं के लिए सुनहरा मौका
मोदी जी ने बताया कि भारत में 1 करोड़ से ज्यादा बच्चे अटल टिंकरिंग लैब्स में काम कर रहे हैं, जहां वो STEM (Science, Tech, Engineering, Math) के प्रयोग कर रहे हैं।
इसके अलावा, “वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन” योजना के तहत सभी छात्रों और रिसर्चर्स को अंतरराष्ट्रीय जर्नल्स तक फ्री एक्सेस मिल रही है। खास बात ये भी है कि भारत में लड़कियों की भागीदारी भी साइंस और रिसर्च में तेजी से बढ़ रही है।
सिर्फ अंतरिक्ष नहीं, धरती की भलाई भी जरूरी
मोदी जी ने एक बहुत जरूरी बात कही – “जब हम ब्रह्मांड की खोज करते हैं, तो यह भी सोचें कि ये विज्ञान धरती पर लोगों की जिंदगी कैसे बेहतर बना सकता है।”
मतलब –
क्या हम किसानों के लिए बेहतर मौसम की जानकारी दे सकते हैं?
क्या जंगल की आग या ग्लेशियरों के पिघलने की सही-सही भविष्यवाणी कर सकते हैं?
क्या हम दूरदराज़ के इलाकों में बेहतरीन इंटरनेट और संचार सुविधाएं दे सकते हैं?
उनका साफ संदेश था – विज्ञान सिर्फ खोजने के लिए नहीं है, सेवा करने के लिए भी है।
विज्ञान को जोड़ने वाली भावना
मोदी जी ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत अंतरराष्ट्रीय सहयोग में विश्वास करता है। उन्होंने इस ओलंपियाड को सफल बनाने के लिए होमी भाभा विज्ञान शिक्षा केंद्र और TIFR को भी धन्यवाद दिया और युवाओं से कहा:
“ऊंचे लक्ष्य रखो, बड़े सपने देखो। और याद रखो – भारत में, आकाश कोई सीमा नहीं, बस एक शुरुआत है।”तो अब आपकी बारी है…
अगर आप भी सितारों से बातें करना चाहते हैं, विज्ञान में कुछ नया करना चाहते हैं या बस जानना चाहते हैं कि "वहां क्या है?" —
तो भारत में आपको न सिर्फ मौके मिलेंगे, बल्कि हौसला और साथ भी मिलेगा।
आखिरकार, विज्ञान तभी मजेदार है जब वो जिज्ञासा और इंसानियत के साथ किया जाए।
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