जल जीवन मिशन- 6 साल का सफर: जब हर घर तक पहुंचा नल का जल, और जिंदगी ने ली एक नई करवट

एक वक्त था जब गांव की महिलाएं सुबह-सुबह उठकर मीलों पैदल चलती थीं, सिर्फ पानी लाने के लिए। कई बार कुएं सूख जाते थे, तालाब गंदे होते थे, और पानी लाने में घंटों लग जाते थे। लेकिन आज, उन्हीं घरों में नल खुलते ही साफ पानी बहता है। हां, ये सब मुमकिन हुआ है जल जीवन मिशन की वजह से, जिसने 6 साल पहले यानी 15 अगस्त 2019 को अपनी शुरुआत की थी।


आज इस मिशन ने 15.69 करोड़ ग्रामीण घरों तक नल से जल पहुंचा दिया है। यानी अब देश के 81% गांवों में लोग सीधे अपने घर में नल से पानी ले रहे हैं। ये कोई मामूली बदलाव नहीं है, ये एक क्रांति है – खासकर उन महिलाओं के लिए, जिनकी जिंदगी अब सच में बदल चुकी है।

जब पानी घर आया, तो आजादी भी साथ आई
पहले गांव की ज्यादातर महिलाओं को हर दिन सुबह तड़के उठकर पैदल चलकर पानी लाना पड़ता था। अब? अब उनके घर में नल है। पानी अपने आप आ जाता है। वो वक्त जो पहले पानी लाने में बीतता था, अब उसी वक्त में वो खेत में काम करती हैं, बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान देती हैं और खुद भी गांव की मीटिंग्स में हिस्सा लेती हैं।

पानी सिर्फ पीने के लिए नहीं आता, वो सम्मान, समय और आत्मनिर्भरता भी साथ लाता है।

गांव खुद बना रहे हैं अपनी जल योजना
इस मिशन की एक खूबी ये भी है कि इसमें सिर्फ सरकार नहीं, गांव खुद भी भागीदार हैं। यानी प्लानिंग से लेकर पाइपलाइन बिछाने तक – सबकुछ गांव के लोग मिलकर कर रहे हैं। अब तक 5.29 लाख से ज्यादा "ग्राम जल एवं स्वच्छता समितियां" बन चुकी हैं, जो अपने गांव की जल व्यवस्था संभाल रही हैं।

और हां, इसमें भी महिलाओं ने कमाल कर दिखाया है!

जब महिलाएं बनीं पानी की गुणवत्ता की रखवाली
इस मिशन के जरिए 24.80 लाख से ज्यादा महिलाओं को ट्रेनिंग दी गई है ताकि वो खुद पता कर सकें कि पानी साफ है या नहीं। उन्हें फील्ड टेस्ट किट दी गई हैं, जिससे वो अपने गांव के पानी की जांच खुद कर रही हैं। अब उन्हें किसी पर निर्भर नहीं रहना पड़ता। ये है असली सशक्तिकरण।

तकनीक से भी जुड़ रहा है भरोसा
जल जीवन मिशन में तकनीक का खूब इस्तेमाल हो रहा है। गांवों की योजनाएं, पानी की सप्लाई की रिपोर्ट, और काम की निगरानी – सब डिजिटल प्लेटफॉर्म से हो रहा है। इससे पारदर्शिता भी बनी रहती है और लोगों का विश्वास भी।

असर सिर्फ पानी तक नहीं, पूरी जिंदगी पर
इस मिशन ने सिर्फ पानी नहीं दिया, बल्कि पूरी जिंदगी को छू लिया है:
*स्वास्थ्य सुधरा है – गंदे पानी से होने वाली बीमारियां जैसे डायरिया, हैजा अब कम हो गई हैं।
*लड़कियों की पढ़ाई अब नहीं रुकती, क्योंकि उन्हें अब स्कूल छोड़कर पानी लाने नहीं जाना पड़ता।
*महिलाएं रोजगार में जुड़ रही हैं – वे अब छोटे-मोटे बिजनेस कर पा रही हैं, आत्मनिर्भर बन रही हैं।
*समानता बढ़ी है – हर समुदाय, हर वर्ग को पानी मिल रहा है, बिना किसी भेदभाव के।

आगे का प्लान: 2028 तक और मजबूती से
सरकार अब इस मिशन को 2028 तक बढ़ाने की तैयारी में है। अब फोकस होगा – पानी की सप्लाई को बनाए रखना, सिस्टम की मरम्मत, और पानी के स्रोतों को लंबे समय तक टिकाऊ बनाना।

एक नल, एक बदलाव।
आज जल जीवन मिशन सिर्फ पानी की सुविधा नहीं है, ये एक आशा की धारा है, जो घर-घर बह रही है। ये दिखाता है कि जब इरादा मजबूत हो, तो कोई भी बदलाव नामुमकिन नहीं होता। पानी अब सिर्फ जीवन का स्रोत नहीं, बल्कि सम्मान, स्वाभिमान और समानता का प्रतीक बन गया है।
और यही है जल जीवन मिशन की सबसे बड़ी जीत। 

सोर्स पीआईबी


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