ग्रामीण महिला सशक्तिकरण की नई इबारत- मिला 11 लाख करोड़ रुपये से अधिक का ऋण

ग्रामीण भारत में महिला सशक्तिकरण और वित्तीय समावेशन की दिशा में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर दर्ज करते हुए, महिला स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को अब तक 11 लाख करोड़ रुपये से अधिक का ऋण वितरित किया गया है। यह उपलब्धि भारत सरकार की प्रमुख ग्रामीण विकास योजना दीनदयाल अंत्योदय

योजना–राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM) के अंतर्गत संभव हो सकी है। इस उपलब्धि ने न केवल महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त किया है, बल्कि देश में सतत और समावेशी विकास के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को भी रेखांकित किया है।

DAY-NRLM के तहत महिला SHGs को बिना कोलैटरल के ऋण, ब्याज सब्सिडी और उद्यमिता विकास का समर्थन प्रदान किया जाता है। यह योजना ग्रामीण गरीब महिलाओं को सामुदायिक संगठनों के माध्यम से एकजुट कर उन्हें आजीविका के नए अवसर उपलब्ध कराने पर केंद्रित है। 98 प्रतिशत से अधिक की उच्च पुनर्भुगतान दर इस योजना की सफलता और ग्रामीण महिलाओं की जिम्मेदारी का प्रमाण है।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस ऐतिहासिक वित्तीय उपलब्धि में बैंकिंग समुदाय की भागीदारी महत्वपूर्ण रही है। बैंकों ने प्राथमिकता क्षेत्र ऋण के तहत SHGs को ऋण, सरल प्रक्रिया और वित्तीय सेवाएं उपलब्ध कराईं। इसी क्रम में ‘बैंक सखियाँ’ – प्रशिक्षित ग्रामीण महिलाएं – गांव-गांव में बैंकिंग सेवाओं को पहुंचाने, दस्तावेजों की प्रक्रिया सरल करने, आधार और मोबाइल सीडिंग जैसी सेवाओं में सहायता करने और समुदाय-आधारित वसूली तंत्र को मजबूत करने में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं।

महिला सशक्तिकरण को गति देने के लिए केंद्र सरकार की एक अन्य पहल, ‘लखपति दीदी योजना’, महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने में मील का पत्थर साबित हो रही है। इस योजना के तहत प्रत्येक SHG से कम से कम एक महिला को ‘लखपति’ यानी लाखों की आय वाली उद्यमी बनाने का लक्ष्य है। महिलाओं को कृषि, पशुपालन, कढ़ाई, सिलाई, बागवानी, डिजिटल सेवाओं जैसी विविध गतिविधियों में प्रशिक्षित कर उन्हें सूक्ष्म उद्यमी बनने का अवसर मिल रहा है। इसके साथ ही, उन्हें 5 लाख रुपये तक का कोलैटरल-फ्री ऋण भी दिया जा रहा है।

विगत वर्षों में मोदी सरकार ने महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण विकास के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाओं को कार्यान्वित किया है। प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत ग्रामीण गरीबों को पक्के घर मिले, जिनमें महिलाओं को प्राथमिकता दी गई। उज्ज्वला योजना ने करोड़ों महिलाओं को धुएं से मुक्ति दिलाकर रसोई को सुरक्षित बनाया। वहीं, जल जीवन मिशन ने ग्रामीण महिलाओं को स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता देकर उनके जीवन को आसान बनाया है।

इसके अलावा, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत महिलाओं को बिना गारंटी ऋण प्रदान कर स्वरोजगार की दिशा में प्रोत्साहित किया गया है। 70% से अधिक मुद्रा लाभार्थी महिलाएं हैं। सुकन्या समृद्धि योजना और प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान ने बेटियों और महिलाओं के भविष्य को आर्थिक और डिजिटल रूप से सुरक्षित किया है।

सरकार के साथ-साथ गैर-सरकारी संगठनों, बैंकों और निजी क्षेत्र की सहभागिता ने इस परिवर्तन को और भी प्रभावी बनाया है। डिजिटल इंडिया के तहत SHG महिलाओं को तकनीकी ज्ञान प्रदान कर उन्हें ऑनलाइन बाजारों तक जोड़ा जा रहा है। SHG द्वारा उत्पादित वस्तुओं की बिक्री अब GeM पोर्टल, Amazon Saheli और Flipkart Samarth जैसे ई-कॉमर्स मंचों पर भी संभव हो रही है।

ग्रामीण भारत में यह वित्तीय क्रांति अब केवल एक सरकारी योजना भर नहीं रही, बल्कि यह सामाजिक परिवर्तन का वाहक बन चुकी है। महिला SHGs के माध्यम से अब गांव की महिलाएं सिर्फ घर तक सीमित नहीं, बल्कि सफल उद्यमी, बैंकिंग प्रतिनिधि, प्रशिक्षक और नेतृत्वकर्ता की भूमिका में आ रही हैं। यह बदलाव "नारी शक्ति" को केंद्र में रखकर विकास के नए आयामों को छूने की ओर बढ़ रहा है।

“जब एक ग्रामीण महिला आत्मनिर्भर बनती है, तो उसके साथ पूरा समाज आगे बढ़ता है।” भारत सरकार की यह सोच अब जमीन पर साकार होती दिखाई दे रही है।

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