प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गद्दी संभालने के बाद बीते कुछ सालों में भारत ने जो विकास की रफ्तार पकड़ी है, उसने दुनिया की नींद उड़ा दी है। खासकर उन देशों की, जो अब तक खुद को वैश्विक व्यवस्था के केंद्र में मानते आए हैं। चाहे डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर हो, स्टार्टअप बूम हो या रिकॉर्ड विदेशी निवेश, भारत अब सिर्फ उभरती अर्थव्यवस्था नहीं, बल्कि निर्धारित भविष्य की शक्ति बन चुका है। ऐसे में जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 30 जुलाई को अचानक भारत पर 25 प्रतिशत आयात टैरिफ लगाने की घोषणा की और पूरे देश में हलचल मच गई। सवाल ये है क्या वाकई भारत इतना ताकतवर हो गया है कि अब दुनिया की महाशक्तियों को डर लगने लगा है?
अब सोचिए, कुछ दिन पहले आई Goldman Sachs की एक रिपोर्ट कहती है कि भारत 2075 तक अमेरिका को पछाड़कर दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। बात अगर सिर्फ भविष्यवाणी तक सीमित होती तो चलो ठीक, लेकिन भारत की ग्रोथ रेट, टेक्नोलॉजी में पकड़ और डिजिटल रेवोल्यूशन को देखकर दुनिया अब इस रिपोर्ट को सीरियसली ले रही है। भारत की तरक्की की रफ्तार पहले से ही दुनिया के सामने है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने बीते 10 वर्षों में अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में जबरदस्त छलांग लगाई है। 2014 में भारत दुनिया की 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था, लेकिन आज यह चौथे स्थान पर पहुंच चुका है। विश्लेषकों का मानना है कि यदि वर्तमान रफ्तार बनी रही, तो भारत 2027 तक जापान को भी पीछे छोड़कर तीसरे स्थान पर आ जाएगा। ऐसे में Goldman Sachs का यह कहना कि भारत 2075 तक अमेरिका को पीछे छोड़कर दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। क्या यही बात ट्रंप को सबसे ज्यादा खल रही है!
टैरिफ के पीछे छिपा डर या रणनीति?
राष्ट्रपति ट्रंप लंबे समय से भारत को "टैरिफ किंग" कहते आए हैं। अब जब भारत अपने प्रोडक्ट्स को इंटरनेशनल मार्केट में सस्ता और क्वालिटी वाला बना रहा है, तो अमेरिका जैसे देशों की टेंशन बढ़ना लाजमी है। भारत की फार्मा इंडस्ट्री, टेक्नोलॉजी सर्विसेज और डिजिटल मार्केटिंग सेक्टर ने ग्लोबल कंपनियों को टक्कर देना शुरू कर दिया है। और तभी ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत टैक्स लगा दिया। ऐसा नहीं है कि सिर्फ व्यापार की बात है- इसमें राजनीति, इगो और अंतरराष्ट्रीय समीकरण भी जुड़े हुए हैं।
दुनिया के किसी नेता ने युद्ध रोकने के लिए फोन नहीं किया
ये लाइन पीएम मोदी ने संसद में कही और ट्रंप का नाम लिए बिना सीधे निशाना साध दिया। ट्रंप हाल ही में दावा कर रहे थे कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराने में बड़ी भूमिका निभाई। लेकिन मोदी का बयान सीधे उस दावे को झूठा करार दे गया। बस यहीं से बात बिगड़ गई। ट्रंप को अपनी अंतरराष्ट्रीय साख पर चोट लगी और उन्होंने गुस्से में आकर टैरिफ थोप दिया।
भारत–रूस दोस्ती: अमेरिका को क्यों खल रही है?
भारत रूस से तेल और डिफेंस इक्विपमेंट खरीदता है। अमेरिका को ये बात बिल्कुल पसंद नहीं। वो चाहता है कि भारत सिर्फ उसी से डील करे, जबकि भारत की विदेश नीति कहती है कि हम किसी के पाले में नहीं हैं। भारत अपनी जरूरत और हितों को देखकर फैसले करता है, चाहे वो रूस हो या अमेरिका। लेकिन ट्रंप इस “स्वतंत्र सोच” को शायद पचा नहीं पा रहे।
क्या पाकिस्तान को आगे कर भारत को घेरना चाहते हैं ट्रंप?
भारत पर टैरिफ लगाने के तुरंत बाद ट्रंप ने पाकिस्तान के साथ व्यापारिक साझेदारी की बात की। यानी साफ इशारा था, अगर भारत हमारी बात नहीं मानेगा, तो हम उसके दुश्मनों के साथ खड़े हो जाएंगे। ये कोई नई बात नहीं। बड़ी ताकतें अकसर दबाव बनाने के लिए ऐसे ही दांव खेलती हैं। मगर भारत अब 90 के दशक वाला देश नहीं है। अब यहां भी जवाब देने की ताकत है, और वो भी ठंडे दिमाग से।
भारत का जवाब- शांत, पर स्पष्ट
भारत ने न तो ट्रंप को सीधा जवाब दिया, न ही कोई विरोधी बयानबाजी की। विदेश मंत्रालय ने बस इतना कहा कि भारत अपनी विदेश नीति और व्यापार निर्णय स्वतंत्र रूप से करता है और ये बात आज के दौर में सबसे बड़ी शक्ति है। भारत अब “Yes Sir” कहने वाला देश नहीं रहा। वो आज खुद तय करता है कि किससे क्या और कब खरीदेगा।
अंत में...
डोनाल्ड ट्रंप का भारत पर टैरिफ लगाना सिर्फ व्यापारिक फैसला नहीं है। ये कहीं न कहीं भारत की बढ़ती ताकत और उसकी स्वतंत्र विदेश नीति से उपजी असहजता है। भारत अब ना सिर्फ एक बाजार है, बल्कि एक पॉलिसी मेकर भी है। और यही बात कुछ लोगों को चुभ रही है। भारत को अब इन चुनौतियों का जवाब ठोस रणनीति, शांत डिप्लोमेसी और ज़मीनी ताकत से देना होगा और हम दे भी रहे हैं।
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