विश्व जनसंख्या दिवस 2025 हर साल 11 जुलाई को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य जनसंख्या से जुड़ी चुनौतियों पर वैश्विक जागरूकता बढ़ाना है। इस वर्ष की थीम है, "युवाओं को एक निष्पक्ष और उम्मीद भरी दुनिया में अपने मनचाहे परिवार बनाने के लिए सशक्त बनाना"। यह विषय इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि वर्तमान में युवा वर्ग मानव इतिहास की सबसे बड़ी युवा आबादी का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें भारत की 65 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम आयु की है। सही शिक्षा,
स्वास्थ्य सेवाएं, रोजगार और निर्णय की स्वतंत्रता मिलने पर यह युवा वर्ग न केवल अपने जीवन को बेहतर बना सकता है, बल्कि देश की प्रगति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।भारत की अगली बड़ी जनगणना: 2027
भारत की 16वीं जनगणना वर्ष 2027 में आयोजित की जाएगी, जो आज़ादी के बाद की 8वीं जनगणना होगी। यह जनगणना दो चरणों में होगी:
*चरण 1: मकान सूचीकरण और आवास गणना, अप्रैल 2026 से शुरू होगी।
*चरण 2: जनसंख्या गणना, 1 मार्च 2027 को देश के अधिकांश हिस्सों में संदर्भ तिथि के रूप में आयोजित होगी। हिमालयी और बर्फीले क्षेत्रों जैसे जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में संदर्भ तिथि 1 अक्टूबर 2026 होगी।
जनगणना 2027 में क्रांतिकारी बदलाव
*जाति गणना: आज़ादी के बाद पहली बार, 2027 की जनगणना में सभी समुदायों की जाति गणना शामिल होगी। इससे पहले जाति को जनगणना से बाहर रखा गया था। जाति गणना को मुख्य जनगणना में शामिल करने का निर्णय सामाजिक समरसता को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
*डिजिटल परिवर्तन: भारत की पहली पूरी तरह से डिजिटल जनगणना होगी। इसके लिए मोबाइल ऐप्स का उपयोग किया जाएगा, जो 16 भाषाओं में उपलब्ध होंगे। इसके साथ ही ऑनलाइन स्व-गणना की सुविधा भी जनता के लिए उपलब्ध होगी। 35 लाख क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया जाएगा, और डेटा प्रबंधन के लिए केंद्रीय निगरानी पोर्टल एवं कोड निर्देशिका का उपयोग होगा। अंतर्निहित सत्यापन तंत्र भी लागू किया जाएगा।
जनगणना का महत्व
*नीति निर्माण और संसाधन आवंटन: जनगणना के आंकड़े शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे, वित्तीय अनुदान, सब्सिडी और राशन आवंटन के लिए आधार प्रदान करते हैं।
*चुनावी परिसीमन और आरक्षण: संविधान के अनुच्छेद 82, 330 और 332 के तहत जनगणना के आंकड़ों के आधार पर निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन और अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लिए सीटों का आरक्षण निर्धारित होता है।
*सामाजिक-आर्थिक अध्ययन: यह प्रवासन, रोजगार, प्रजनन क्षमता, भाषा, धर्म, साक्षरता, आर्थिक गतिविधि आदि पर सूक्ष्म स्तर के आंकड़े उपलब्ध कराता है, जो नीति निर्धारण और सामाजिक समरसता के लिए आवश्यक हैं।
जनगणना 2011 से तुलना
2011 की जनगणना में लगभग 1.21 अरब की जनसंख्या दर्ज की गई थी। उस समय 2.7 मिलियन प्रगणकों और पर्यवेक्षकों ने काम किया था। 2011 में पहली बार राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) की तैयारी के लिए मकान सूचीकरण अनुसूचियों को भी शामिल किया गया था। हालांकि, जाति गणना उस समय शामिल नहीं थी।
2027 की जनगणना भारत के लिए एक ऐतिहासिक मोड़ होगी, जो वर्षों से चली आ रही पारंपरिक जनगणना प्रक्रिया में डिजिटल क्रांति और सामाजिक समावेशन का नया अध्याय जोड़ रही है। यह न केवल भारत की विविध जनसंख्या का सटीक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करेगी, बल्कि समावेशी शासन और साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण के लिए मजबूत आधार प्रदान करेगी। विश्व जनसंख्या दिवस 2025 की थीम के अनुरूप, यह कदम युवाओं को सशक्त बनाने और एक निष्पक्ष, आशावादी समाज के निर्माण की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा।
सोर्स-पीआईबी
No comments:
Post a Comment