भारत सरकार ने खेल क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए खेलो भारत नीति 2025 (राष्ट्रीय खेल नीति 2025) को मंजूरी दी है, जिसका उद्देश्य देश को वैश्विक खेल महाशक्ति के रूप में स्थापित करना और 2036 के ओलंपिक की मेजबानी के लिए रणनीतिक तैयारी करना है। यह नीति खेलों को केवल मनोरंजन या शौक
नहीं, बल्कि एक व्यावहारिक करियर और सामाजिक-आर्थिक विकास का माध्यम बनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी पहल है।नीति की प्रमुख विशेषताएं और उद्देश्य
*राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के साथ एकीकरण: खेलो भारत नीति 2025 में खेलों को स्कूल पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है, जिससे खेल शिक्षा और शारीरिक फिटनेस को प्राथमिकता दी जाएगी। यह नीति शिक्षा और खेल के बीच एक मजबूत समन्वय स्थापित करती है, जिससे युवा प्रतिभाओं का समग्र विकास होगा।
*महिला सशक्तिकरण और सामाजिक समावेशन: नीति महिलाओं, वंचित वर्गों, जनजातीय समुदायों और दिव्यांगजनों की खेलों में भागीदारी को बढ़ावा देती है, जिससे खेलों के माध्यम से सामाजिक समावेशन को सुनिश्चित किया जाएगा।
*प्रवासी भारतीयों से जुड़ाव: खेलो भारत नीति प्रवासी भारतीयों को भी खेलों के माध्यम से जोड़ने का प्रयास करती है, जिससे वैश्विक स्तर पर भारत की खेल पहचान को मजबूत किया जा सके।
*2036 ओलंपिक की मेजबानी: भारत को 2036 के ओलंपिक की मेजबानी के लिए तैयार करने के साथ-साथ विश्व के शीर्ष खेल राष्ट्रों में शामिल करने का लक्ष्य रखा गया है।
*बजट आवंटन: वित्त वर्ष 2025-26 के लिए युवा कार्य एवं खेल मंत्रालय को 3,794 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो 2014-15 की तुलना में 130.9% अधिक है। इसमें से 1,000 करोड़ रुपये खेलो इंडिया कार्यक्रम के लिए विशेष रूप से निर्धारित हैं, जो युवा एथलीटों के विकास और अवसंरचना निर्माण पर केंद्रित है।
नीति के पांच प्रमुख स्तंभ
1.वैश्विक मंच पर उत्कृष्टता: जमीनी स्तर से लेकर उच्चतम स्तर तक प्रतिभाओं की पहचान, प्रशिक्षण और समर्थन; राष्ट्रीय खेल महासंघों की क्षमता वृद्धि; खेल विज्ञान, चिकित्सा और प्रौद्योगिकी का समावेश।
2.आर्थिक विकास के लिए खेल: खेल पर्यटन को बढ़ावा, अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजन आकर्षित करना, खेल स्टार्टअप्स और उद्यमिता को प्रोत्साहन, सार्वजनिक-निजी भागीदारी और नवाचार वित्तपोषण।
3.सामाजिक विकास: महिलाओं, कमजोर वर्गों, आदिवासियों और दिव्यांगजनों की भागीदारी को बढ़ावा देना, खेलों के माध्यम से सामाजिक समावेशन सुनिश्चित करना।
4.जन आंदोलन के रूप में खेल: खेलों को व्यापक जनभागीदारी के माध्यम से एक स्वस्थ और सक्रिय समाज के लिए प्रेरित करना, फिटनेस संस्कृति का विकास।
5.शिक्षा के साथ एकीकरण: राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप खेलों को शिक्षा प्रणाली में शामिल करना, खेल शिक्षा के लिए प्रशिक्षकों का विकास और खेल को करियर विकल्प के रूप में स्थापित करना।
खेलो इंडिया कार्यक्रम और अवसंरचना विकास
खेलो इंडिया कार्यक्रम, जो 2016-17 में शुरू हुआ, इस नीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके तहत:
*1,045 खेलो इंडिया केंद्र और 34 राज्य उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किए गए हैं।
*2,845 एथलीटों को प्रशिक्षण, उपकरण, चिकित्सा देखभाल और छात्रवृत्ति प्रदान की गई है।
*326 खेल अवसंरचना परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिनकी लागत 3,124 करोड़ रुपये है।
*खेलो इंडिया यूथ गेम्स, यूनिवर्सिटी गेम्स, पैरा गेम्स और विंटर गेम्स जैसे आयोजन नियमित रूप से आयोजित किए जा रहे हैं, जिनमें हजारों एथलीट भाग लेते हैं।
सफलता की कहानियाँ और सामाजिक प्रभाव
नीति के सकारात्मक प्रभाव को पैरा-एथलीट रोहित कुमार और सिद्दी समुदाय की एथलीट सामंथा सेवर सिद्दी की सफलता कहानियाँ दर्शाती हैं। दोनों ने खेलो भारत नीति 2025 की सराहना करते हुए कहा कि इस नीति ने खेलों को शिक्षा के साथ जोड़कर और समावेशिता बढ़ाकर खेलों के प्रति दृष्टिकोण में क्रांतिकारी बदलाव लाया है। इससे न केवल अधिक एथलीटों को सफलता मिली है, बल्कि खेलों को एक सम्मानित करियर विकल्प के रूप में स्थापित किया गया है।
खेलो भारत नीति 2025 भारत के खेल भविष्य को पुनर्परिभाषित करती है। यह नीति खेलों को शिक्षा, सामाजिक समावेशन, आर्थिक विकास और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के साथ जोड़कर देश को एक सशक्त खेल राष्ट्र बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम है। सरकार के बढ़ते बजट समर्थन और व्यापक कार्यक्रमों के माध्यम से भारत 2036 के ओलंपिक की मेजबानी और विश्व खेल मंच पर शीर्ष स्थान हासिल करने की ओर अग्रसर है।
यह नीति न केवल खेलों को एक पेशेवर करियर विकल्प बनाती है, बल्कि एक स्वस्थ, सक्रिय और गौरवशाली युवा पीढ़ी के निर्माण में भी सहायक है, जो भारत को खेलों की दुनिया में नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी।
सोर्स- पीआईबी
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