भारत बना सेमीकंडक्टर पावरहाउस: प्रधानमंत्री मोदी को भेंट किए गए पहले 'Made-in-India' चिप्स

भारत की टेक्नोलॉजी यात्रा इन दिनों तेज रफ्तार पकड़ चुकी है। 2 सितंबर 2025 का दिन इसलिए ऐतिहासिक हो गया क्योंकि पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भारतीय मिट्टी पर डिजाइन और निर्मित सेमीकंडक्टर चिप्स का सेट भेंट किया गया। इसे मोहाली की पायलट लाइन में बनाया गया है और यह पल ‘Made-in-India Chips’ के युग की शुरुआत माना जा रहा है।


क्यों खास है ये पल?
दिसंबर 2021 में भारत ने सेमीकंडक्टर मिशन की नींव रखी थी। महज साढ़े तीन साल में इस मिशन ने परिकल्पना से लेकर वास्तविक उत्पादन तक का सफर पूरा कर लिया। सोचिए, जिस सपने के लिए दुनिया के कई देशों को दशकों लगे, भारत ने उसे रिकॉर्ड समय में साकार कर दिखाया।

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस मौके पर कहा कि मेड-इन-इंडिया चिप्स और 7.8 प्रतिशत जीडीपी ग्रोथ आज भारत को दुनिया में स्थिरता और विकास का चमकता प्रतीक बना रहे हैं।

सेमीकॉन इंडिया 2025: बदलाव की बुनियाद

इस ऐतिहासिक पल को और मजबूत बनाया सेमीकॉन इंडिया 2025 में हुए 12 बड़े समझौतों (MoUs) ने। इन समझौतों का फोकस सिर्फ चिप्स बनाना नहीं बल्कि पूरे इकोसिस्टम को मजबूत करना है- देश में पैकेजिंग और मैन्युफैक्चरिंग क्षमता बढ़ाना, स्वदेशी डिजाइन और आईपी को बढ़ावा देना, स्टार्टअप्स और यूनिवर्सिटीज़ के लिए रास्ते खोलना, और वैश्विक कंपनियों के साथ मिलकर भारत को सप्लाई चेन का भरोसेमंद हिस्सा बनाना।

इसके तहत टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स, मर्क, IISc बैंगलोर, IIT मद्रास, Arizona State University और कई घरेलू स्टार्टअप्स अब सीधे इस मिशन का हिस्सा बन चुके हैं।

Deep Tech Alliance: भारत की अगली छलांग
सेमीकॉन्स तक सीमित न रहते हुए, सरकार ने Deep Tech Alliance का भी ऐलान किया। करीब 1 अरब डॉलर (₹8,300 करोड़) की प्रतिबद्धता के साथ शुरू हुआ यह एलायंस आने वाले समय में न सिर्फ सेमीकंडक्टर बल्कि स्वच्छ ऊर्जा, बायोटेक्नोलॉजी, क्वांटम टेक्नोलॉजी और स्पेस तक में निवेश करेगा। यह भारत को उभरती टेक्नोलॉजीज की दुनिया में लीडर बनाएगा।

Students और Startups की असली ताकत

यह यात्रा सिर्फ़ बड़ी कंपनियों तक सीमित नहीं है। इस बार सबसे अनोखा पल वह था जब भारतीय छात्रों द्वारा डिजाइन किए गए 20 चिप्स प्रधानमंत्री को भेंट किए गए। सोचिए, जब देशभर के 78 यूनिवर्सिटी एडवांस्ड EDA टूल्स के साथ काम कर रही हों और 28 से ज्यादा स्टार्टअप्स चिप डिजाइन से प्रोडक्शन तक पहुंच रहे हों, तो आने वाले 5-7 साल में भारत की टेक्निकल स्किल पावर कितनी विशाल बनने वाली है।

IIT मद्रास और C-DAC जैसे संस्थान पहले ही स्वदेशी प्रोसेसर और माइक्रोकंट्रोलर बना चुके हैं। यह बताता है कि भारत सिर्फ उपभोक्ता नहीं रहेगा, बल्कि दुनिया के लिए तकनीक तैयार करेगा।

Global Tech Giants भी हुए शामिल
ASML, Applied Materials, Tokyo Electron और Lam Research जैसी ग्लोबल कंपनियों का सेमीकॉन इंडिया 2025 में आना इस बात का संकेत है कि भारत अब दुनिया की नजर में भरोसेमंद टेक पार्टनर बन चुका है। मंत्री वैष्णव ने यहां तक कहा कि भारत का चिप उत्पादन पहले से ही 15-30% तक सस्ता है, यानी कॉस्ट कॉम्पिटिटिव।

भविष्य की तस्वीर

भारत का लक्ष्य अब साफ है—2030 तक सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री का $1 ट्रिलियन हब बनना। और जब छात्रों से लेकर स्टार्टअप्स, सरकारी योजनाओं से लेकर ग्लोबल पार्टनर्स सब एक साथ आगे बढ़ रहे हों, तो यह सपना हक़ीक़त में बदलना तय है।

भारत के पहले मेड-इन-इंडिया चिप्स सिर्फ तकनीक का नमूना नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के सपने का ठोस प्रमाण हैं। यह यात्रा उस दिन की याद दिलाती है जब हम दुनिया को बताना चाहते हैं कि “हम केवल टेक्नोलॉजी कंज्यूमर नहीं, बल्कि टेक्नोलॉजी लीडर बनने आए हैं।”

आपके हिसाब से भारत की अगली बड़ी छलांग क्वांटम टेक्नोलॉजी में होगी या सेमीकंडक्टर उत्पादों के बड़े पैमाने पर निर्यात में?

No comments:

Post a Comment

Popular Posts