भारत में युवाओं की बढ़ती आबादी को आर्थिक और सामाजिक प्रगति का वाहक बनाने के लिए 2015 में शुरू हुआ प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) आज अपने दस वर्ष पूरे कर चुका है। इस एक दशक में कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय ने अपनी विभिन्न योजनाओं के माध्यम से 6 करोड़ से अधिक भारतीयों को सशक्त किया है, जिससे देश के भविष्य की नींव और भी मजबूत हुई है।
कौशल भारत मिशन की उपलब्धियां
पीएमकेवीवाई के तहत 1.6 करोड़ से अधिक युवाओं को प्रशिक्षण दिया गया है, जिसमें मैन्युफैक्चरिंग, निर्माण, स्वास्थ्य सेवा, आईटी, इलेक्ट्रॉनिक्स, खुदरा आदि जैसे विविध क्षेत्रों की भागीदारी रही।
11 जुलाई 2025 तक, पीएमकेवीवाई 4.0 के अंतर्गत 25 लाख से अधिक उम्मीदवारों को प्रशिक्षित किया जा चुका है, जिसमें एआई, रोबोटिक्स, ड्रोन, आईओटी जैसे भविष्य के क्षेत्रों को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है।
महिलाओं की भागीदारी उल्लेखनीय रही है- पीएमकेवीवाई के लाभार्थियों में 45% महिलाएं शामिल हैं, साथ ही अनुसूचित जाति, जनजाति और ओबीसी वर्ग के युवाओं की भी बड़ी संख्या रही।
योजना का विस्तार और नवाचार
स्किल इंडिया मिशन के तहत पीएमकेवीवाई, पीएम-एनएपीएस (राष्ट्रीय शिक्षुता संवर्धन योजना) और जन शिक्षण संस्थान (जेएसएस) को एकीकृत कर एक व्यापक कौशल विकास इकोसिस्टम बनाया गया है।
डिजिटल ट्रैकिंग और आधार-आधारित सत्यापन के साथ, स्किल इंडिया डिजिटल हब (एसआईडीएच) जैसे प्लेटफॉर्म ने प्रशिक्षण, मूल्यांकन और भुगतान को पारदर्शी और परिणाम-आधारित बनाया है।
राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थानों में उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना से प्रशिक्षकों की गुणवत्ता और उभरते क्षेत्रों के लिए विशेष प्रशिक्षण को बढ़ावा मिला है।
समावेशिता और सामाजिक प्रभाव
ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों तक कौशल प्रशिक्षण की पहुंच सुनिश्चित की गई, जिससे रोजगार के अवसर लोकतांत्रिक हुए।
विशेष परियोजनाओं के तहत ब्रू जनजाति, जेल कैदियों, पंख परियोजना (महिलाओं के लिए), पारंपरिक शिल्पकारों और कारीगरों को लक्षित प्रशिक्षण दिया गया।
कोविड-19 के दौरान, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए क्रैश कोर्स के माध्यम से 1.2 लाख से अधिक युवाओं को प्रशिक्षित किया गया।
कौशल से रोजगार और उद्यमिता तक
पीएमकेवीवाई के पहले तीन संस्करणों में अल्पकालिक प्रशिक्षण के बाद भर्ती (प्लेसमेंट) दर 42.8% रही, जिससे लाखों युवाओं को रोजगार मिला।
डीडीयू-जीकेवाई (ग्रामीण कौशल योजना) और आरएसईटीआई (ग्रामीण स्वरोजगार एवं प्रशिक्षण संस्थान) जैसी योजनाओं ने ग्रामीण युवाओं और महिलाओं को स्वरोजगार और उद्यमिता के लिए तैयार किया है।
पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को मान्यता, टूलकिट, ऋण सहायता और विपणन में सहयोग प्रदान किया जा रहा है, जिससे 2.7 करोड़ से अधिक आवेदन आ चुके हैं।
आगे की राह
पीएमकेवीवाई अब एक सरकारी कार्यक्रम से कहीं आगे बढ़कर आजीवन सीखने और नवाचार का प्रतीक बन चुका है। समावेशिता, लचीलापन और भविष्य की जरूरतों के अनुरूप पाठ्यक्रमों के विस्तार ने इसे वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी श्रमशक्ति तैयार करने का आधार बना दिया है। जैसे-जैसे भारत ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है, पीएमकेवीवाई देश के जनसांख्यिकीय लाभांश के दोहन का सपना साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
"प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के जरिए, भारत ने न केवल अपने युवाओं को सशक्त किया, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार भी किया है।"
सोर्स- पीआईबी
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