25 अगस्त की शाम अहमदाबाद की सड़कों पर जनसैलाब था। लोग छतों, बालकनियों, गलियों और मैदानों में उमड़ पड़े थे। माहौल में जोश था, विश्वास था और सामने थे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। लेकिन इस बार भाषण केवल घोषणाओं या योजनाओं का पुलिंदा नहीं था। ये भाषण एक देश के संकल्प की पुन: पुष्टि थी। एक ऐसा संकल्प जो 2047 में भारत को विकसित राष्ट्र के रूप में देखना चाहता है।
PM मोदी ने कहा: "2047 तक भारत विकसित देश बनकर रहेगा। दबाव कितना भी हो, हम झेलने की ताकत बढ़ाते जाएंगे।" ये कोई राजनीतिक लाइन नहीं थी, बल्कि 140 करोड़ भारतीयों की सोच और सपनों की झलक थी।
विकास की एक झलक—गुजरात बना रहा है देश का भविष्य
प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात में 3,000 करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया। ये परियोजनाएं सिर्फ ईंट-पत्थर का ढांचा नहीं, बल्कि उस रोडमैप का हिस्सा हैं, जो आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ रहा है।
कुछ खास घोषणाएं:
-वडोदरा में ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट निर्माण
-गुजरात से सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग में बड़ी शुरुआत
-पीएम सूर्य घर योजना के तहत 6 लाख परिवारों को मुफ्त सोलर बिजली
-1,500 पक्के घरों का लोकार्पण – गरीबों को गरिमा का जीवन
-अहमदाबाद मेट्रो और रिंग रोड जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स
"जिसको किसी ने नहीं पूछा, मोदी उसको पूजता है"
अपने भाषण में मोदी ने किसान, पशुपालक, छोटे दुकानदार, रेहड़ी-पटरी वाले जैसे समाज के हाशिए पर रहने वाले वर्गों की बात को प्रमुखता दी। उन्होंने कहा: “मोदी के लिए आपके हित सर्वोपरि हैं। हमारी सरकार आपका अहित कभी नहीं होने देगी।”
PM स्वनिधि योजना हो, या बिजली बिल शून्य करने वाली सोलर योजना—उन्होंने बताया कि कैसे सरकार की प्राथमिकता वही लोग हैं जिन्हें लंबे समय तक अनदेखा किया गया।
स्वदेशी को बनाएं त्योहारों का मंत्र
नवरात्रि, दिवाली, दशहरे की चर्चा करते हुए उन्होंने देशवासियों से एक खास आग्रह किया: “जो भी खरीदिए, मेड इन इंडिया खरीदिए। दुकानदार भाई बोर्ड लगाएं – मेरे यहां सिर्फ स्वदेशी बिकता है।”
इस एक लाइन से उन्होंने वोकल फॉर लोकल को फिर से जनआंदोलन में बदलने की कोशिश की। खासकर त्योहारों के समय, जब खर्च ज्यादा होता है, तब ये संदेश और भी अहम हो जाता है।
अहमदाबाद की बदलती तस्वीर—गर्व से भरी कहानी
प्रधानमंत्री ने पुराने अहमदाबाद को याद करते हुए कहा कि एक वक्त था जब इसे ‘गर्दाबाद’ कहा जाता था। आज वही शहर यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज सिटी है। साबरमती रिवरफ्रंट, कांकरिया झील, BRTS जनमार्ग, स्वच्छता में बढ़ती रैंकिंग—ये सभी अहमदाबाद के कायाकल्प की कहानी बयां करते हैं।
और ये बदलाव सिर्फ शहर तक सीमित नहीं। पूरे गुजरात में अब मेट्रो से लेकर एयरक्राफ्ट तक बन रहे हैं। "जब निर्णय कर लें, तो परिणाम मिलते ही हैं"
मोदी ने अपने भाषण में बार-बार इस बात को दोहराया कि कैसे शुरुआत में उनके कई प्रोजेक्ट्स का मजाक उड़ाया गया—चाहे वह रन उत्सव हो, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी, या गिफ्ट सिटी। लेकिन आज वे सभी प्रोजेक्ट्स भारत की शान बन चुके हैं।
उनका साफ संदेश था—अगर संकल्प हो, तो परिणाम ज़रूर मिलते हैं।
2047 की तैयारी आज से
अंत में, प्रधानमंत्री ने फिर ज़ोर दिया कि भारत अब संकल्प से पीछे नहीं हटेगा: “हमारा हर नागरिक वोकल फॉर लोकल का वाहक बनेगा, स्वदेशी को जीएगा और फिर कभी भारत को किसी पर आश्रित होने की जरूरत नहीं पड़ेगी।”
गुजरात की धरती से एक बार फिर देश को याद दिलाया गया कि सिर्फ सरकार नहीं, हर नागरिक देश के विकास का भागीदार है। 2047 का सपना कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं, बल्कि राष्ट्रीय मिशन है। और जैसे पीएम मोदी ने कहा: “दबाव कितना भी हो, हम झेलने की ताकत बढ़ाते जाएंगे।”
तो आइए, इस दिवाली एक छोटा कदम उठाएं—स्वदेशी अपनाएं, आत्मनिर्भर भारत को आगे बढ़ाएं। तभी तो 2047 में हम गर्व से कह पाएंगे—"Yes, India is a Developed Nation."
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