प्रधानमंत्री मोदी की ब्रिटेन और मालदीव यात्रा भारत की रणनीति को एक नई दिशा

जुलाई 2025 भारत की विदेश नीति के लिए एक और ऐतिहासिक माह होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो खास देशों—यूनाइटेड किंगडम और मालदीव—की आधिकारिक यात्रा पर निकल रहे हैं। यह सिर्फ एक औपचारिक दौरा नहीं, बल्कि भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका, मजबूत कूटनीतिक रिश्तों और पड़ोसियों के साथ भरोसे के नए अध्याय की शुरुआत भी है।


लंदन की गलियों से उठती साझेदारी की नई बयार
23 से 24 जुलाई के बीच प्रधानमंत्री मोदी यूनाइटेड किंगडम की आधिकारिक यात्रा पर होंगे। यूके के नए प्रधानमंत्री सर कीर स्टारमर के साथ चर्चा के केंद्र में केवल पारंपरिक मुद्दे नहीं होंगे, बल्कि कारोबार, टेक्नोलॉजी, रक्षा, जलवायु परिवर्तन, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों का विस्तार भी इसी मंच पर और मजबूत किया जाएगा।

एक दिलचस्प बात यह है कि यह प्रधानमंत्री मोदी की ब्रिटेन की चौथी यात्रा होगी। इससे साफ है कि दोनों देशों के बीच सिर्फ औपचारिक रिश्ते ही नहीं, बल्कि व्यापक रणनीतिक साझेदारी (CSP) की नई राह बन रही है। इस बार की चर्चा से उम्मीद है कि लंबे समय से चल रही भारत-ब्रिटेन फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) पर कोई बड़ा निर्णय हो सकता है, जिससे दोनों देशों के व्यापार को नई ऊंचाई मिलेगी।

प्रधानमंत्री मोदी की ब्रिटेन के किंग चार्ल्स तृतीय से मुलाकात भी तय है। यह मुलाकात दोनों देशों की राजशाही और डेमोक्रेसी के अनूठे रिश्ते को भी रेखांकित करेगी।

मालदीव: समुद्री पड़ोसी से बढ़ती दोस्ती
अपनी यात्रा के दूसरे चरण में प्रधानमंत्री मोदी 25-26 जुलाई के बीच मालदीव जाएंगे। मालदीव के राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद मुइज्जू के न्योते पर यह मोदी जी की मालदीव की तीसरी यात्रा है। मालदीव के इतिहास में यह खास मौका भी है, क्योंकि राष्ट्रपति मुइज्जू के कार्यकाल में यह पहली बार कोई राष्ट्राध्यक्ष मालदीव की यात्रा कर रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी 26 जुलाई को मालदीव के स्वतंत्रता दिवस की 60वीं वर्षगांठ पर मुख्य अतिथि बनेंगे, जो दोनों देशों के घनिष्ठ संबंधों का प्रतीक है। यह वही मालदीव है, जिसके साथ कुछ समय पहले भारत के संबंधों में खटास आई थी। अब Comprehensive Economic and Maritime Security Partnership के तहत भारत और मालदीव मिलकर सुरक्षा और आर्थिक साझेदारी को मजबूत करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

भारत की नीति : पड़ोसी पहले
यह यात्रा एक बार फिर साबित करती है कि भारत की ‘Neighbourhood First’ नीति सिर्फ कागजों तक सीमित नहीं है। विशेषकर जब बात हमारे रवैया बदलने की हो, तो समुद्री पड़ोसियों की अहमियत हमेशा सबसे ऊपर रही है। प्रधानमंत्री मोदी का विजन ‘MAHASAGAR’ भी इसी दिशा में है—हिंद महासागर के द्वीपीय देशों के साथ मजबूत और भरोसेमंद साझेदारी।

यूके और मालदीव की यह यात्रा सिर्फ कूटनीति की औपचारिकता नहीं, बल्कि नए विश्वास, परस्पर लाभ और क्षेत्रीय सहयोग के ऐतिहासिक दस्तावेज बनने जा रही है। आने वाले समय में इससे जुड़े फैसलों पर पूरी दुनिया की नजर रहेगी कि भारत वैश्विक संबंधों को किस दिशा में ले जाता है।

#PMModiUKVisit #ModiinMaldives #IndiaForeignPolicy #ighbourhoodFirst

No comments:

Post a Comment

Popular Posts