वैश्विक सुरक्षा पर भारत की बड़ी जीत: FATF रिपोर्ट ने मानी भारत की दलील

अंतरराष्ट्रीय वित्तीय निगरानी संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ताजा रिपोर्ट ने भारत की आतंकवाद-रोधी मुहिम को बड़ी मजबूती दी है। जुलाई 2025 में जारी FATF रिपोर्ट में पहली बार स्पष्ट शब्दों में कहा गया है कि राज्य प्रायोजित आतंकवाद वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है। रिपोर्ट में पाकिस्तान का उल्लेख करते हुए वहां के आतंकी संगठनों को सरकारी समर्थन, नकली एनजीओ और प्रतिबंधों के तोड़ के विस्तृत तरीकों पर प्रकाश डाला गया है।


क्या है FATF

जैसे-जैसे विश्व डिजिटल होता जा रहा है, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय लेन-देन की प्रकृति भी बदल रही है। जहां एक ओर तकनीक से लेन-देन सुगम हुए हैं, वहीं आतंकवाद के वित्तपोषण, मनी लॉन्ड्रिंग और प्रसार वित्तपोषण के खतरे भी बढ़े हैं। धन का दुरुपयोग, आतंकवाद को बढ़ावा देने, अवैध कमाई छिपाने, या वैश्विक शांति को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों को वित्तपोषित करने के लिए किया जा सकता है। दुनिया की वित्तीय प्रणालियों की सुरक्षा के लिए, वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) दुनिया भर के देशों के साथ मिलकर काम करता है। एफएटीएफ एक स्वतंत्र अंतर-सरकारी निकाय है, जिसका काम मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवादी वित्तपोषण और प्रसार वित्तपोषण के खिलाफ वैश्विक मानक तय करना है। पेरिस में जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान 1989 में स्थापित, वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) इन चुनौतियों से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानक निर्धारित करता आया है। भारत 2010 से FATF का एक सक्रिय सदस्य है और वैश्विक सुरक्षा की दिशा में नेतृत्वकारी भूमिका निभा रहा है।

रिपोर्ट में क्या कहा गया?
FATF ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि कुछ देश, खासतौर पर पाकिस्तान, अपनी नीति के बतौर आतंकी संगठनों को वित्तीय सहायता, रसद, प्रशिक्षण और अन्य संसाधन मुहैया कराते हैं। लश्कर-ए-तैय्यबा, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों को पाकिस्तान सरकार और सेना दोनों से प्रत्यक्ष और परोक्ष समर्थन मिलता है। इससे न केवल भारत की सुरक्षा के लिए बल्कि पूरे इलाके और वैश्विक व्यवस्था के लिए भी गंभीर चुनौती पैदा होती है।

"कोई भी राष्ट्र यदि आतंकी समूहों को धन या संसाधन देता है, तो वह अंतरराष्ट्रीय दायित्वों और FATF के मानकों का उल्लंघन करता है," — FATF रिपोर्ट

डिजिटल दौर में बढ़ती चुनौती
रिपोर्ट में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि आतंकी नेटवर्क अब डिजिटल प्लेटफॉर्म—जैसे ई-कॉमर्स, ऑनलाइन पेमेंट सर्विस, क्रिप्टोकरेंसी, और सोशल मीडिया—का दुरुपयोग तेजी से कर रहे हैं। आतंकवाद फंडिंग के पारंपरिक रास्तों के साथ-साथ अब नए तकनीकी चैनल भी सामने आ गए हैं, जिनका इस्तेमाल सीमापार आतंकी घटना को अंजाम देने के लिए किया जा रहा है।

भारत के दावे पर मुहर
भारत लंबे समय से पाकिस्तान पर आतंकवाद को राज्य की नीति के तौर पर इस्तेमाल करने का आरोप लगाता रहा है। FATF की रिपोर्ट ने भारत के इन दावों पर अब आधिकारिक तौर पर मुहर लगा दी है। रिपोर्ट में भारत द्वारा प्रस्तुत केस स्टडी—जैसे आतंकी फंडिंग में ई-कॉमर्स व ऑनलाइन पेमेंट प्लेटफॉर्म का दुरुपयोग—को भी शामिल किया गया है, जिससे अंतरराष्ट्रीय तापमान और दबाव पाकिस्तान के खिलाफ और बढ़ सकता है.

"FATF ने भारत के दावे को वैधता दी है। अब वैश्विक मंच पर पाकिस्तान की जवाबदेही और घिरेगी," — भारतीय सुरक्षा विशेषज्ञ

पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ीं
रिपोर्ट के बाद FATF ने पाकिस्तान को सख्त चेतावनी दी है और ‘ग्रे लिस्ट’ निगरानी को और मजबूत किया है। भारत ने भी FATF को लगातार पत्र भेजकर पाकिस्तान पर कार्रवाई की मांग रखी थी, जिस पर अब सकारात्मक वैश्विक प्रतिक्रिया मिल रही है।

FATF की इस रिपोर्ट से साफ हो गया है कि भारत की वैश्विक सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त कर चुकी है। आज भारत FATF के एक ज़िम्मेदार सदस्य के रूप में वैश्विक वित्तीय प्रणाली की सुरक्षा को लेकर न केवल अपनी प्रतिबद्धता दिखा रहा है, बल्कि नीतिगत नवाचार, तकनीकी अपनाने और बहुपक्षीय सहयोग के ज़रिए अन्य देशों के लिए एक मिसाल भी पेश कर रहा है। राज्य प्रायोजित आतंकवाद को लेकर भारत की सतर्कता और कार्रवाई अब पूरी दुनिया में सुर्खियों में है। वहीं, पाकिस्तान के लिए यह रिपोर्ट कूटनीतिक और आर्थिक मोर्चे पर एक बड़ी चुनौती के रूप में सामने आई है।

सोर्स पीआईबी

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