स्मार्ट शहरों की ओर भारत की छलांग: 10 साल में 94% प्रोजेक्ट्स पूरे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब 25 जून 2015 को स्मार्ट सिटी मिशन लॉन्च किया था, तब किसी ने नहीं सोचा होगा कि आने वाले 10 सालों में देश के 100 शहरों की तस्वीर ही बदल जाएगी। आज, 10 साल बाद, स्मार्ट सिटी मिशन ने वो करके दिखाया है जो सिर्फ कागजों पर प्लानिंग जैसा लगता था।


भारत के 100 स्मार्ट शहरों में से 94% (7,555 प्रोजेक्ट्स) को सफलतापूर्वक पूरा किया जा चुका है, जिन पर करीब 1.64 लाख करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। यह पैसा सिर्फ सड़कें बनाने या बिल्डिंग खड़ी करने में नहीं गया, बल्कि इसका इस्तेमाल लोगों की जिंदगी आसान, सुरक्षित और टेक्नोलॉजी से जुड़ी हुई बनाने में हुआ है।

शहर हुए सचमुच ‘स्मार्ट’
अब शहरों की हालत सिर्फ कागज पर नहीं, असल जिंदगी में बदली है। आज किसी स्मार्ट शहर में जाएं, तो आपको ये चीज़ें ज़रूर दिखेंगी:
-सड़कों पर 84,000 से ज्यादा CCTV कैमरे
-सभी 100 स्मार्ट शहरों में 'इंटीग्रेटेड कमांड ऐंड कंट्रोल सेंटर' (ICCC) जहाँ एक ही स्क्रीन पर पूरे शहर की ट्रैफिक, सिक्योरिटी और साफ-सफाई की जानकारी मिलती है।
-1,740 किलोमीटर स्मार्ट सड़कें, 713 किमी साइकिल ट्रैक, जिससे ट्रैफिक की दिक्कत कम हुई है
-सार्वजनिक जगहों पर 1,300 से ज्यादा ओपन स्पेसेज़, वाटरफ्रंट और हेरिटेज साइट का विकास
-डिजिटल क्लासरूम, ई-हेल्थ क्लीनिक, और स्मार्ट लाइब्रेरी जैसे सुविधाएं

बेहतर सिविक सुविधाएं – हर वर्ग के लिए
अब ये लगता है कि सरकारी सेवाएं केवल VIP लोगों के लिए नहीं हैं। अब स्मार्ट शहरों में:
-28 शहरों में रोज 2,900 MLD से ज्यादा पानी की शुद्धिकरण क्षमता बनी है।
-27 शहरों ने सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए हैं, जिससे साफ-सफाई और बाढ़ की समस्या में सुधार हुआ।
-66 शहरों में स्मार्ट वेस्ट मैनेजमेंट चालू है।
-कोयंबटूर, विशाखापट्टनम, सोलापुर और उदयपुर जैसे शहरों ने सोलर लाइट्स, ई-शौचालय, और बायोमीटरिक वेस्ट सिस्टम जैसी अत्याधुनिक चीजों को अपनाया है।

यह प्रोजेक्ट सिर्फ इन्फ्रास्ट्रक्चर का ही नहीं, इसमें समाज के हर तबके को जोड़ने की कोशिश की गई है – चाहे वो महिलाएं हों, बच्चे हों, बुजुर्ग या दिव्यांग लोग।

इनोवेशन और टेक्नोलॉजी से बदली तस्वीर

मिशन के ज़रिए शहरों ने सिर्फ रोड, वॉटर या ट्रैफिक ही नहीं सुधारा, बल्कि भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए इनोवेटिव सॉल्यूशंस भी अपनाए:
-Cyclic4Change, Streets4People जैसी पहलें शुरू की गईं जिससे शहरों में खुली और सुरक्षित सार्वजनिक जगहें बढ़ें।
-Transport4All जैसे कैंपेन से ट्रांसपोर्ट सिस्टम अधिक समावेशी और किफायती बना।
-ICCC से अब ट्रैफिक से लेकर वायु गुणवत्ता तक की रियलटाइम मॉनिटरिंग मुमकिन है।

स्मार्ट शहरों की कुछ चमकदार कामयाब कहानियां

✅ विशाखापत्तनम – सोलर स्ट्रीट लाइटिंग और दिव्यांगों के लिए 'All-Abilities Park'
✅ सोलापुर – ई-शौचालय और इंदिरा गांधी स्टेडियम का स्मार्ट रीडेवलपमेंट
✅ कोयंबटूर – स्ट्रीट लाइट्स को LED में बदला, झीलों का जीर्णोद्धार और स्वच्छ ऊर्जा पर ज़ोर
✅ उदयपुर – ठोस कचरा प्रबंधन में स्वावलंबन
✅ काकीनाडा – ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम से लेकर एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग तक सब कुछ डिजिटल

आर्थिक और सामाजिक असर
-शहरों में जन सुविधाओं का स्तर ऊपर गया है।
-अर्थव्यवस्था बेहतर हुई – नए बिजनेस, टूरिज्म और स्टार्टअप को बढ़ावा मिला।
-स्थानीय युवाओं को नौकरी के मौके मिले।
-स्मार्ट सिटी की सफलता के मॉडल ने दूसरे शहरों और राज्यों को भी प्रेरित किया।

अब आगे क्या?
अब जब 10 साल में ये सब हो गया है, तो अगला लक्ष्य है कि 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाना है। स्मार्ट सिटी मिशन इस दिशा में एक मज़बूत नींव बन चुका है।

आने वाले समय में इन शहरों को “स्मार्ट से सस्टेनेबल” बनाने की कोशिश होगी – जहां सिर्फ इन्फ्रास्ट्रक्चर ही नहीं बल्कि पर्यावरण सुरक्षा, सामाजिक समावेश और नागरिक भागीदारी भी हो।

स्मार्ट सिटी मिशन कोई सपना नहीं, ये अब एक हकीकत है जिसने भारत के शहरों को इंटेलिजेंट, सुरक्षित और बेहतर बना दिया है। यह एक ऐसा मॉडल बन चुका है जो दुनिया के बाकी देशों के शहरों को भी इंस्पायर कर सकता है। जैसा प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “2047 तक विकसित भारत के सपने में, हमारे ये छोटे लेकिन स्मार्ट शहर बड़ी भूमिका निभाएंगे।”
सोर्स- पीआईबी

No comments:

Post a Comment

Popular Posts