भारत ने पिछले एक दशक में व्यवसाय की सुगमता के मोर्चे पर अभूतपूर्व क्रांति देखी है, जहां पारंपरिक लालफीताशाही को हटाकर निवेश और नवाचार के लिए ‘लाल कालीन’ बिछाई गई है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में संरचनात्मक सुधारों, डिजिटलीकरण और उद्यमशीलता को प्रोत्साहित करने वाली नीतियों ने भारत को
2025 में न केवल दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था, बल्कि तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम और एक पसंदीदा निवेश गंतव्य बना दिया है।प्रमुख सुधार जिन्होंने व्यापार वातावरण को रूपांतरित किया
कर सुधार और टैक्सेशन में पारदर्शिता
-एंजेल टैक्स का समाप्ति (जुलाई 2024) ने स्टार्टअप इकोसिस्टम को मजबूती दी।
-जीएसटी ने जटिल अप्रत्यक्ष करों को समाहित कर भारत को एकल बाजार में बदला; अनुपालन आसान हुए और परिचालन लागत घटी।
-फेसलेस टैक्सेशन व पारदर्शी कराधान मंच ने करदाताओं में भरोसा बढ़ाया।
निगमन से निकास तक प्रक्रियाओं का डिजिटलीकरण और सरलीकरण
-एसपीआईसीई+ फॉर्म व राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली ने कई विभागों के सम्मिलित अनुमोदन-पत्र तथा प्रक्रियाओं को एक मंच पर समेट दिया, जिससे नई कंपनियों की स्थापना त्वरित और सस्ती हुई।
-आइसगेट, ट्रेड कनेक्ट ई-प्लेटफ़ॉर्म जैसे डिजिटल पोर्टलों के जरिए सीमा पार व्यापार सुगम व तेज हुआ।
-1,500 से अधिक पुराने कानूनों और 45,000 से ज़्यादा अनुपालनों को हटाकर अनुपालन बोझ काफी घटा।
जन विश्वास अधिनियम 2023
-42 अधिनियमों में से 183 प्रावधान अपराधमुक्त बना गैर-आपराधिक बनाकर, व्यापारियों की कठिनाइयां कम की गईं।
एमएसएमई और उद्यमिता सशक्तिकरण
-सरकारी ई-मार्केटप्लेस (GEM), ‘एक जिला, एक उत्पाद’ (ODOP) और लघु उद्योगों के लिए आसानी से उपलब्ध फंडिंग और सब्सिडी, आज एमएसएमई को नई ऊंचाइयों तक ले जा रहे हैं।
स्टार्टअप और नवाचार का नया भारत
-भारत अब अमेरिका और चीन के बाद तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम है; 1.6 लाख से ज्यादा मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स, 17 लाख से ज्यादा नौकरियां।
-2014 के 4 यूनिकॉर्न से 2025 में 118+ यूनिकॉर्न — यह इनोवेशन और निवेशकों के भरोसे का प्रमाण है।
-स्टार्टअप इंडिया जैसी सरकारी पहलों ने ग्रामीण-शहरी खाई घटाई, टियर II/III शहरों ने भी तेज़ योगदान दिया।
वैश्विक व्यापार और निवेश का विस्तार
-निर्यात 2013-14 के 468 अरब डॉलर से बढ़कर 2024-25 में 825 अरब डॉलर तक पहुंचा — करीब 76% की वृद्धि।
-एफडीआई निवेश 1 ट्रिलियन डॉलर के आंकड़े को छू चुका है, जिसमें 67% हिस्सेदारी पिछले 10 वर्षों (2014-2024) की है।
-“मेक इन इंडिया”, गतिशील श्रम-कानून सुधार, लॉजिस्टिक्स नीति और जीएसटी जैसे उपायों ने विदेशी निवेशकों का भरोसा और आकर्षण बढ़ाया।
बुनियादी ढांचा एवं लॉजिस्टिक्स
-पीएम गति शक्ति और राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (एनएलपी) के तहत मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी, डिजिटल ट्रैकिंग, कुशल आपूर्ति श्रृंखला—इन सबसे व्यापारिक संचालन में समय, लागत और जटिलताएं घटीं।
-लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक में भारत की रैंक 2020 की 54वीं से बढ़कर 2023 में 38वीं हो गई।
भारत में व्यापारिक सुगमता की दिशा में हुए सुधारों ने न केवल कानून और अनुपालन के बोझ को कम किया, बल्कि नवाचार व निवेश को गति दी है। डिजिटलीकरण, पारदर्शिता, कुशल लॉजिस्टिक्स और उद्यमी अनुकूल माहौल ने देश को आर्थिक महाशक्ति की ओर अग्रसरित किया है। यह बदलाव स्टार्टअप इंडिया, एमएसएमई और विदेशी निवेशकों के लिए भी लाभकारी साबित हो रहा है, जिससे नौकरियों, नवाचार और समावेशी विकास को मजबूती मिली है।
भारत 2047 तक विकसित राष्ट्र के अपने ‘अमृत काल’ के लक्ष्य के लिए एक मजबूत नींव रख रहा है — जहां व्यापार करना आसान होगा, नवाचार फलेंगे और विकास का लाभ समाज के हर वर्ग तक पहुंचेगा।
सोर्स पीआईबी
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