1 जुलाई 2025 को भारत ने डिजिटल इंडिया मिशन के 10 वर्ष पूरे किए—एक दशक, जिसने देश के डिजिटल परिदृश्य को पूरी तरह बदल दिया। 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई इस पहल का उद्देश्य था: प्रौद्योगिकी को हर नागरिक तक पहुंचाना, शासन को पारदर्शी बनाना और डिजिटल समावेशन के माध्यम से भारत को भविष्य के लिए तैयार करना।
कनेक्टिविटी और डिजिटल बुनियादी ढांचा
-इंटरनेट कनेक्शन 2014 के 25.15 करोड़ से बढ़कर 2024 में 96.96 करोड़ हो गए—285% की वृद्धि।
-5G क्रांति: सिर्फ 22 महीनों में 4.74 लाख 5G टॉवर लगाए गए, जिससे 99.6% जिलों में हाई-स्पीड इंटरनेट पहुंच गया।
-भारतनेट: 2.18 लाख ग्राम पंचायतों को 6.92 लाख किमी ऑप्टिकल फाइबर केबल के जरिए हाई-स्पीड इंटरनेट से जोड़ा गया, जिससे गांवों में भी डिजिटल सेवाएं उपलब्ध हो पाईं।
-डेटा की लागत 2014 के ₹308/GB से घटकर 2022 में ₹9.34/GB रह गई, जिससे इंटरनेट आम लोगों के लिए सस्ता हुआ।
डिजिटल वित्तीय समावेशन
- यूपीआई: अप्रैल 2025 में 1,867.7 करोड़ लेन-देन हुए, जिनकी कुल राशि ₹24.77 लाख करोड़ थी। भारत ने 2023 में वैश्विक रियल-टाइम डिजिटल भुगतानों का 49% हिस्सा अकेले संभाला।
-आधार और डीबीटी: 142 करोड़ आधार आईडी और डीबीटी के जरिए ₹44 लाख करोड़ से अधिक का सीधा भुगतान, जिससे 5.87 करोड़ फर्जी राशन कार्ड और 4.23 करोड़ डुप्लिकेट एलपीजी कनेक्शन हटाए गए।
-डिजिलॉकर: 53.92 करोड़ उपयोगकर्ता अब डिजिटल दस्तावेज़ों का लाभ ले रहे हैं।
-ओएनडीसी और जीईएम: छोटे व्यवसायों और सरकारी खरीद को डिजिटल प्लेटफॉर्म से जोड़कर लाखों विक्रेताओं और खरीदारों को सशक्त किया गया है।
रणनीतिक तकनीक और नवाचार
-इंडियाएआई मिशन: 2024 में शुरू, इसका उद्देश्य भारत को एआई नवाचार और इन्फ्रास्ट्रक्चर में वैश्विक नेतृत्व देना है। मई 2025 तक, भारत की नेशनल कंप्यूटिंग पावर 34,000 GPU से अधिक हो गई है।
-इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन: ₹76,000 करोड़ के निवेश से छह सेमीकंडक्टर परियोजनाओं को मंजूरी, जिससे भारत इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में आत्मनिर्भर बन रहा है।
-सेमीकॉन इंडिया 2025: भारत को वैश्विक सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला में विश्वसनीय भागीदार के रूप में स्थापित करने की दिशा में बड़ा कदम।
ई-गवर्नेंस और नागरिक सशक्तिकरण
-कर्मयोगी भारत: 1.21 करोड़ से अधिक अधिकारी ऑनलाइन प्रशिक्षण से जुड़े, 2,588 पाठ्यक्रम और 3.24 करोड़ लर्निंग सर्टिफिकेट जारी।
-उमंग ऐप: 23 भाषाओं में 2,300 सेवाएं, 8.34 करोड़ उपयोगकर्ता, 597 करोड़ ट्रांजेक्शन।
-भाषिणी: 35 से अधिक भाषाओं में एआई आधारित सेवाएं, जिससे डिजिटल सेवाओं की भाषा बाधा दूर हुई।
डिजिटल अर्थव्यवस्था का योगदान
-डिजिटल अर्थव्यवस्था ने 2022-23 में जीडीपी में 11.74% का योगदान दिया, जो 2024-25 में बढ़कर 13.42% होने का अनुमान है।
-भारत डिजिटलाइजेशन में दुनिया में तीसरे स्थान पर है (ICRIER रिपोर्ट, 2024)।
डिजिटल इंडिया के दस वर्षों ने भारत को दुनिया के सबसे बड़े, सबसे तेज़ और सबसे समावेशी डिजिटल समाजों में बदल दिया है। इंटरनेट और मोबाइल कनेक्टिविटी की पहुंच, डिजिटल भुगतान की लोकप्रियता, सरकारी सेवाओं की पारदर्शिता और तकनीकी नवाचारों ने देश के हर कोने को जोड़ा है। डिजिटल इंडिया अब सिर्फ एक सरकारी कार्यक्रम नहीं, बल्कि हर नागरिक के जीवन में बदलाव लाने वाली क्रांति बन चुका है—जो भारत को आत्मनिर्भर, समावेशी और भविष्योन्मुखी राष्ट्र के रूप में स्थापित कर रहा है।
सोर्स पीआईबी
No comments:
Post a Comment