पिछले 11 वर्षों में 2014 से 2025 के बीच भारत की स्वास्थ्य प्रणाली ने अभूतपूर्व बदलाव देखे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बहुआयामी नेतृत्व में “सबका साथ, सबका विकास” के मंत्र के साथ स्वास्थ्य को राष्ट्रीय प्राथमिकता बनाया गया, जिसमें आम नागरिक, खासकर गरीब, ग्रामीण और हाशिए के वर्गों को केंद्र में रखा गया। अब भारत में स्वास्थ्य अधिकार बन चुका है, न कि कोई विशेषाधिकार। वर्षों बाद पहली बार “Healthy India” केवल नारा नहीं, बल्कि मापनीय
हकीकत बन चुका है।आयुष्मान भारत: हर नागरिक के लिए स्वास्थ्य सुरक्षा
-आयुष्मान भारत–प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY) दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना बन चुकी है, जिसमें 55 करोड़ से अधिक लोग शामिल हैं। हर परिवार को 5 लाख रुपये तक का कैशलेस इलाज (माध्यमिक व तृतीयक देखभाल) मुहैया है।
-2024 में विस्तार: 70+ वर्ष के सभी नागरिकों को आयुष्मान कवरेज मिला, भले ही उनकी आय या सामाजिक स्थिति कुछ भी हो, जिससे बुजुर्गों की गरिमा और सुरक्षा सुनिश्चित हो।
-2025 तक 40 करोड़ से अधिक आयुष्मान कार्ड और 17,000+ सरकारी अस्पताल इससे जुड़े हैं। 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक इलाज का खर्च सीधे योजना के कारण बचा है, जिससे गरीब जनता को बड़ी बचत हुई है।
दवा और इलाज: अब किफायती
-जन औषधि केंद्र: 2014 के सिर्फ 80 से बढ़कर 2025 में 16,000+ केंद्र, जहाँ 2,000+ जेनेरिक दवाएं 50–90% तक सस्ती उपलब्ध हैं। अनुमान है कि इससे भारतीय परिवारों ने 28,000 करोड़ रुपये बचाए।
-अमृत फार्मेसियाँ: गंभीर बीमारियों की दवाओं और मेडिकल इम्प्लांट्स की रियायती उपलब्धता से करोड़ों मरीजों की जेब पर बोझ कम हुआ।
-डायलिसिस से लेकर कैंसर तक, राष्ट्रीय स्तर की योजनाओं ने इलाज को आम आदमी की पहुँच में ला दिया। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम के तहत लाखों मरीजों का महंगा इलाज अब सरकारी खर्च पर होता है।
नई हेल्थ टेक्नोलॉजी और डिजिटल स्वास्थ्य
-ई-संजीवनी: टेलीमेडिसिन सेवा से 37 करोड़ से अधिक डिजिटल डॉक्टर कंसल्टेशन हुए—अब गांव के नागरिक भी शहरी विशेषज्ञ डॉक्टर से मोबाइल के जरिए आसानी से जुड़ सकते हैं।
-आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन: देश के हर नागरिक को यूनिक हेल्थ आईडी, डिजिटल हेल्थ रिकॉर्ड की सुविधा—पारदर्शिता व इमरजेंसी में तीव्र उपचार।
-U-WIN प्लेटफॉर्म द्वारा टीकाकरण का डिजिटलीकरण और विशाल डेटा नेटवर्क से कार्य-निष्पादन में पारदर्शिता।
टीकाकरण और महामारी प्रबंधन
-कोविड-19 के लिए 220 करोड़ से अधिक वैक्सीन डोज़ देकर भारत न सिर्फ़ अपने, बल्कि दुनिया के लिए “वैश्विक स्वास्थ्य भागीदार” साबित हुआ।
-मिशन इंद्रधनुष और सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (UIP) से बच्चों और गर्भवती महिलाओं को सुरक्षा—अब टीकाकरण कवरेज 94% तक पहुंच गया, बाल मृत्यु दर में 42% की गिरावट आई।
सार्वजनिक स्वास्थ्य, मातृ-शिशु सुरक्षा और रोग उन्मूलन
-मातृ मृत्यु अनुपात (MMR): 2014 के 130 से घटकर 2023 में 80 रह गया—सिर्फ तीन वर्ष में 23 पॉइंट्स की कमी।
-पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर: 2015 के 48 से घटकर 2023 में 28 प्रति 1,000 (वैश्विक औसत से बेहतर सुधार)।
-टीबी, मलेरिया, फाइलेरिया, कुष्ठ आदि में देशव्यापी घटावट और उन्मूलन, डोर-टू-डोर दवाई, नकद DBT सहायता, रियल टाइम निगरानी जैसा अभिनव रुख।
-सिकल सेल एनीमिया, 100 दिनों में टीबी-मुक्त भारत अभियान व निक्षय पोषण योजना से जटिल बीमारी तक में बड़ी उपलब्धि।
चिकित्सा शिक्षा और मानव संसाधन
-एम्स की संख्या और मेडिकल सीटों में रिकॉर्ड बढ़ोत्तरी (एमबीबीएस में 130% और पीजी में 138% वृद्धि); 75,000+ नई मेडिकल सीटें और सैकड़ों नए नर्सिंग/पैरामेडिकल कॉलेज खुले।
-नीट परीक्षा व नये आयोगों से दाखिले में पारदर्शिता, गुणवत्ता व विविधता बढ़ी।
स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे का विस्तार
-इमरजेंसी कोविड रिस्पॉन्स, ऑक्सीजन एक्सप्रेस, ICU-बेड में इजाफा, ई-हॉस्पिटल, आइसोलेशन कोच—व्यापक संकट में भी रिकॉर्ड समय में बुनियादी ढांचा विस्तार।
यह बदलाव मात्र योजनाओं या आंकड़ों की नहीं, बल्कि सम्मान, जीवन और आशा की कहानी है। आज विश्वास बढ़ा है—सरकारी अस्पतालों, डॉक्टरों, वैक्सीन, दवा और डिजिटल प्रणालियों में। भारत ने “स्वास्थ्य सभी के लिए” को धरातल पर उतारा है, महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों और वंचितों के लिए सुविधा अब सरकारी नीतिगत प्राथमिकता है।
सोर्स पीआईबी
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