प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पिछले 11 वर्षों में भारत ने वैश्विक पटल पर अपनी पहचान को पूरी तरह परिवर्तित कर दिया है। अब यह न केवल आर्थिक और तकनीकी महाशक्ति के तौर पर, बल्कि मानवीय सहायता, आपदा प्रबंधन, रक्षा, जलवायु नेतृत्व और डिजिटल नवाचार में भी दुनिया का भरोसेमंद मार्गदर्शक बन चुका है। यह बदलाव दूरदर्शी नेतृत्व, समावेशी नीतियों और ‘राष्ट्र प्रथम’ के दृढ़ संकल्प का नतीजा है।
1. बहुआयामी नेतृत्व: G20, ग्लोबल साउथ और अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति
-G20 की अध्यक्षता (2022–23) ने भारत को कूटनीतिक सफलता और बहुपक्षीय संवाद के केंद्र में ला खड़ा किया। नई दिल्ली डिक्लेयरेशन का सर्वसम्मति से स्वीकृत होना इस बात का प्रमाण है कि भारत वैश्विक मतभेदों के बीच भी आम सहमति बनाने में सक्षम शक्ति है।
-ग्लोबल साउथ की आवाज़: भारत ने वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन, इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर जैसी पहल शुरू कर ‘ग्लोबल साउथ’ के एजेंडे को ग्लोबल चर्चा के केंद्र में रखा।
-39 नए दूतावास/वाणिज्य दूतावास (2014-24) खोलकर भारत ने अपनी सांस्थानिक उपस्थिति 219 देशों/शहरों तक बढ़ा दी, जिससे देश की वैश्विक प्रभाव-क्षमता उल्लेखनीय ढंग से बढ़ी है।
2. मानवीय सहायता और ‘वसुधैव कुटुम्बकम’
-‘वैक्सीन मैत्री’: भारत ने 99 देशों को 30 करोड़ से अधिक कोविड वैक्सीन की डोज़ दी, जिसमें 1.5 करोड़ मुफ्त अनुदान के रूप में थीं। इससे भारत की छवि एक जिम्मेदार मानवीय शक्ति के रूप में मजबूत हुई।
-राहत व निकासी अभियान: अमेरिका, यूक्रेन, सूडान, अफगानिस्तान, हैती आदि से भारतीयों की सुरक्षित वापसी; वंदे भारत मिशन, ऑपरेशन गंगा, कावेरी, अजय, देवी शक्ति आदि मानव केंद्रित नीति के उदाहरण बने।
-विदेशों में रहने वाले भारतीयों के लिए इंडियन कम्युनिटी वेलफेयर फंड के जरिए तीन लाख से अधिक नागरिकों को सहायता मिली।
3. तकनीकी, रक्षा और विज्ञान में नया मुकाम
-भारत चंद्रयान-3 के साथ चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश, डीएनए आधारित कोविड वैक्सीन व तकनीकी नवाचारों में विश्व का उत्कृष्ट केंद्र बना।
-रक्षा उत्पादन में 174% की वृद्धि (2023–24: ₹1.27 लाख करोड़), रक्षा निर्यात में तेज़ उछाल और स्वदेशीकरण पर फोकस के साथ भारत अब 100+ देशों को रक्षा उत्पाद निर्यात करता है।
-आईडैक्स, रक्षा औद्योगिक कॉरिडोर और टेक्नोलॉजी इनोवेशन मिशन से रक्षा, एआई, क्वांटम, ब्लॉकचेन आदि क्षेत्रों में मजबूत स्थान बना।
4. रणनीतिक साझेदारियाँ, स्वायत्तता और विश्वास
-भारत ने अमेरिका, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, सऊदी अरब व यूएई जैसे देशों के साथ रक्षा, व्यापार, शिक्षा और प्रौद्योगिकी में अभूतपूर्व संबंध बनाए। ‘पड़ोसी प्रथम’ और ‘एक्ट ईस्ट’ जैसी नीतियों के जरिए क्षेत्रीय स्थिरता व समावेशिता को बढ़ावा दिया।
-ब्रिक्स, क्वाड, आईएमईसी, जैसी बहुपक्षीय साझेदारियों के जरिए भारत ने अपनी रणनीतिक स्वायत्तता, वैश्विक संवाद शक्ति व अलग पहचान को पुख्ता किया।
5. निर्णायक सुरक्षा नीति और कानून व्यवस्था
-आंतरिक व बाह्य सुरक्षा में अहम सफलता: आतंकवाद-रोधी सर्जिकल स्ट्राइक, बालाकोट, ऑपरेशन सिंदूर जैसे अभियान; जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 का निरस्तीकरण, नक्सल हिंसा में 81% की गिरावट—ये सब बदली हुई सोच और इच्छा शक्ति के उदाहरण हैं।
-रक्षा आधुनिकीकरण, नेट-सेंट्रिक वॉरफेयर, लॉन्च ऑन डिमांड क्षमता—सभी ने भारत की सुरक्षा हिम्मत को नया स्वरूप दिया।
6. जलवायु, ऊर्जा और सतत् नेतृत्व
-अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन, जैव ईंधन गठबंधन, COP21 जैसी पहलों में भारत का प्रमुख रोल, साथ ही स्वच्छ और कम-कार्बन वाली अर्थव्यवस्था का निर्माण; भारत ग्रीन ग्रोथ और क्लाइमेट सॉल्यूशंस में लीडर।
-वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन, राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन आदि पहलें पर्यावरणीय नेतृत्व और ऊर्जा सुरक्षा का दर्शन प्रदान करती हैं।
भारत की वैश्विक पहचान अब एक किसी क्षेत्र विशेष तक सीमित नहीं, बल्कि सर्वांगीण, सशक्त और सामर्थ्य-प्रधान राष्ट्र की है, जो मानवीय मूल्य, सर्वांगीण विकास और ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भावना को लेकर आगे बढ़ता है। विज्ञान, टेक्नोलॉजी, मानवीय सहायता, कूटनीति, रक्षा, अर्थव्यवस्था और पर्यावरण सभी क्षेत्रों में India is a consensus-builder, a technology innovator, a reliable partner, and above all, a voice for the developing world। आज एकीकृत, साहसी और समावेशी नेतृत्व के बल पर, भारत वैश्विक व्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और 2047 तक विकसित भारत के सपने की ओर निरंतर अग्रसर है।
सोर्स- पीआईबी
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