भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ लगातार महत्वपूर्ण तकनीकी उपलब्धियाँ हासिल कर रहा है और इसके माध्यम से देश की अंतरिक्ष क्षमताओं को बढ़ावा दिया जा रहा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के इस मिशन में हुई प्रगति के बारे में केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने 23 जुलाई को लोकसभा में विस्तृत जानकारी दी।
मुख्य प्रगति और उपलब्धियाँ:
- मानव रेटेड प्रक्षेपण यान (HLVM3): इसके विकास एवं जमीनी परीक्षण पूरे हो चुके हैं, जो मानवीय उड़ान के लिए आवश्यक तकनीकी तैयारियों को दर्शाता है।
- ऑर्बिटल मॉड्यूल एवं प्रणोदन प्रणाली: क्रू मॉड्यूल और सर्विस मॉड्यूल की प्रणोदन प्रणालियाँ विकसित और सफलतापूर्वक परीक्षण की जा चुकी हैं। जीवन समर्थन प्रणाली (ECLSS) का इंजीनियरिंग मॉडल तैयार हो चुका है।
- क्रू एस्केप सिस्टम: पाँच प्रकार की मोटरों का विकास और स्थैतिक परीक्षण पूरा हुआ है, जो अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
- इन्फ्रास्ट्रक्चर: गगनयान नियंत्रण केंद्र, चालक दल प्रशिक्षण सुविधा, द्वितीय लॉन्च पैड संशोधन समेत आवश्यक बुनियादी ढांचे का विकास किया गया है।
-मानवरहित मिशन (G1): इस मिशन के लिए क्रू और सर्विस मॉड्यूल की संरचना, जरूरी मोटरें और अन्य प्रणालियाँ तैयार हैं। ‘व्योममित्र’ नामक रोबोट की भूमिका भी महत्वपूर्ण है।
-संचार नेटवर्क और पुनर्प्राप्ति योजना: पृथ्वी पर संचार सुदृढ़ करने के लिए भू-नेटवर्क का विन्यास अंतिम रूप में है और पुनर्प्राप्ति संसाधन तैयार हैं।
मिशन का उद्देश्य और भविष्य की योजनाएँ:
गगनयान मिशन के तहत तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को लगभग 400 किलोमीटर ऊंचाई की कक्षा में तीन दिन के लिए भेजकर सुरक्षित पृथ्वी पर वापसी सुनिश्चित करना है। इस मील के पत्थर की सफलता के साथ भारत विश्व के चुनिंदा देशों में शामिल होगा, जो स्वदेशी तकनीक से मानवीय अंतरिक्ष उड़ान में सक्षम हैं।
दीर्घकालिक दृष्टिकोण में 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (Bharatiya Antariksh Station - BAS) के पाँच मॉड्यूल स्थापित करने तथा 2040 तक चंद्रमा पर भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों की लैंडिंग की योजना शामिल है। इसरो को पहले BAS मॉड्यूल के लिए औपचारिक स्वीकृति और वित्तीय मंजूरी मिल चुकी है।
पृष्ठभूमि (Background):
गगनयान मिशन की घोषणा वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई थी। यह भारत के मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम की शुरुआत है, जिसमें मानवरहित परीक्षण, सुरक्षा प्रणाली, जीवन समर्थन, पुनःप्रवेश और पुनर्प्राप्ति तकनीकों को विकसित और परीक्षण किया जाता है। मिशन का लक्ष्य तकनीकी आत्मनिर्भरता और वैश्विक मानकों पर खरा उतरना है।
आगामी समयरेखा:
-पहला मानवरहित मिशन (Gaganyaan-1) 2025 के अंत तक लॉन्च होने की तैयारी में है।
-मानवयुक्त मिशन की संभावना 2027 की पहली तिमाही में है, बशर्ते सभी परीक्षण सफल हों।
-2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन और 2040 तक चंद्रमा मिशन की तैयारियाँ जारी हैं।
सोर्स- पीआईबी
No comments:
Post a Comment