2024-25 में भारत ने एक बार फिर अपनी आर्थिक मजबूती का प्रदर्शन करते हुए 6.5% की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर्ज की है, जिससे वह दुनिया की सबसे तेज़ प्रगति करने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था बना हुआ है। यह उपलब्धि ऐसे समय में हासिल हुई है जब वैश्विक अर्थव्यवस्था अनिश्चितताओं और मंदी के दौर से गुजर रही है, लेकिन भारत ने अपने घरेलू विकास कारकों, मजबूत मैक्रोइकोनॉमिक फंडामेंटल्स और व्यावहारिक नीतियों के बल पर निरंतर प्रगति की है।
आर्थिक वृद्धि के प्रमुख स्तंभ
-मजबूत घरेलू मांग: ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में उपभोग में तेजी, निजी निवेश में वृद्धि और सार्वजनिक निवेश में निरंतरता ने विकास को गति दी है।
-सेवा, कृषि और विनिर्माण का योगदान: कृषि में अच्छी फसल, सेवाओं में निरंतर मजबूती (PMI सर्विसेज मई 2025 में 58.8) और विनिर्माण में विस्तार ने विकास को समर्थन दिया।
-निर्यात में रिकॉर्ड: 2024-25 में कुल निर्यात 824.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया, जो भारत की वैश्विक व्यापार में बढ़ती हिस्सेदारी को दर्शाता है।
मुद्रास्फीति और आर्थिक स्थिरता
मुद्रास्फीति मई 2025 में गिरकर 2.82% पर आ गई, जो फरवरी 2019 के बाद सबसे कम है। खाद्य मुद्रास्फीति भी ऐतिहासिक रूप से निम्न स्तर पर रही, जिससे उपभोक्ताओं और कारोबारियों दोनों को राहत मिली है। रिजर्व बैंक का अनुमान है कि मुद्रास्फीति 4% के लक्ष्य के आसपास स्थिर रहेगी, जिससे आर्थिक वातावरण में भरोसा और स्थिरता बनी रहेगी।
पूंजी बाजार और निवेशकों का भरोसा
भारतीय पूंजी बाजारों ने घरेलू और विदेशी निवेशकों का भरोसा मजबूत किया है। 2024 के अंत तक खुदरा निवेशकों की संख्या 13.2 करोड़ तक पहुंच गई। आईपीओ की संख्या और जुटाई गई पूंजी में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिससे भारत की कंपनियों को विस्तार के लिए आवश्यक संसाधन मिले हैं।
वैश्विक अस्थिरता के बीच भारत की मजबूती
जहां वैश्विक अर्थव्यवस्था व्यापार तनाव, नीतिगत अनिश्चितताओं और निवेश में गिरावट जैसी चुनौतियों से जूझ रही है, वहीं भारत ने अपने मजबूत घरेलू आधार और विविधीकरण के बल पर निरंतर वृद्धि बनाए रखी है। अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां और उद्योग संगठन भी भारत की आर्थिक संभावनाओं पर भरोसा जता रहे हैं।
आगे की राह
रिजर्व बैंक और सरकार ने 2025-26 के लिए भी 6.5% की वृद्धि का अनुमान जताया है। संयुक्त राष्ट्र और अन्य वैश्विक संस्थाएं भी अगले वर्षों में भारत की विकास दर 6.3% से 6.7% के बीच रहने का अनुमान लगा रही हैं। कृषि, विनिर्माण, सेवा और बुनियादी ढांचे में निवेश पर फोकस, साथ ही निर्यात और निवेश में विविधीकरण, भारत को आने वाले वर्षों में भी वैश्विक आर्थिक नेतृत्व के लिए तैयार कर रहे हैं।
भारत की 6.5% जीडीपी वृद्धि न केवल उसकी आर्थिक शक्ति का प्रमाण है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि देश वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भी स्थिरता, समावेशी विकास और भविष्य के लिए आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रहा है।
सोर्स पीआईबी
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