भारत की सौर ऊर्जा यात्रा अब रफ्तार पकड़ चुकी है और यह सिर्फ ऊर्जा उत्पादन की बात नहीं है, बल्कि एक बड़े बदलाव की कहानी है – नेट जीरो भविष्य की ओर बढ़ते भारत की। कभी जो सोलर पैनल सिर्फ कुछ छतों या दूर के रेगिस्तानी इलाकों में दिखाई देते थे, आज वो हर गाँव, हर मोहल्ले और हर शहर में दिख रहे हैं। भारत अब सौर ऊर्जा उत्पादन में जापान को पछाड़कर दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश बन चुका है।
एक दशक में बदली तस्वीर
10 साल पहले जहां भारत में सौर ऊर्जा एक नई सोच थी, आज ये पूरे देश की प्राथमिक ऊर्जा रणनीति बन चुकी है। अंतर्राष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा एजेंसी (IRENA) के अनुसार, भारत ने साल 2025 में 1,08,494 गीगावाट घंटा सौर ऊर्जा का उत्पादन किया, जो जापान से ज्यादा है।
भारत की कुल सौर ऊर्जा क्षमता 119.02 गीगावाट तक पहुंच गई है, जिसमें ग्राउंड बेस्ड प्लांट, रूफटॉप सिस्टम, हाइब्रिड प्रोजेक्ट्स और ऑफग्रिड सिस्टम शामिल हैं।
बड़ी उपलब्धियां, बड़े लक्ष्य
-भारत की कुल स्थापित विद्युत क्षमता का 50.07% हिस्सा अब नवीकरणीय स्रोतों से आता है — यह लक्ष्य 2030 तक तय था, लेकिन 2025 में ही हासिल हो गया।
-सोलर मॉड्यूल मैन्युफैक्चरिंग क्षमता एक साल में 38 GW से बढ़कर 74 GW हो गई।
-पीवी सेल उत्पादन भी 9 GW से 25 GW पहुंच गया।
-भारत की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 2014 के 76 GW से बढ़कर 2025 में 234 GW हो गई।
गांवों और किसानों की भागीदारी
-जम्मू-कश्मीर के पल्ली गांव को देश की पहली कार्बन न्यूट्रल पंचायत घोषित किया गया है।
-पीएम-कुसुम योजना के जरिए किसान अब अपनी जमीन पर सोलर प्लांट लगाकर बिजली बेच सकते हैं।
-पीएम सूर्य घर योजना एक करोड़ घरों को हर महीने 300 यूनिट मुफ़्त बिजली देने का लक्ष्य लेकर आई है।
‘मेक इन इंडिया’ के साथ सोलर मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा
सरकार ने आयात पर निर्भरता कम करने और घरेलू उत्पादन को बढ़ाने के लिए बीसीडी (Basic Customs Duty) जैसे फैसले लिए हैं। सोलर सेल और मॉड्यूल पर आयात शुल्क लगाकर भारतीय उत्पादों को बढ़ावा दिया जा रहा है।
अंतरराष्ट्रीय नेतृत्व भी भारत के नाम
-International Solar Alliance (ISA) भारत और फ्रांस की एक पहल है जो 100 से ज़्यादा देशों को जोड़ती है।
-One Sun One World One Grid (OSOWOG) भारत की एक और पहल है जो वैश्विक स्तर पर सौर ऊर्जा साझा करने का सपना देखती है।
सौर ऊर्जा के नए रूप: फ्लोटिंग सोलर और एग्रीवोल्टाइक्स
-मध्य प्रदेश का ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट एशिया का सबसे बड़ा बनने जा रहा है।
-एग्रीवोल्टाइक्स मॉडल के तहत अब खेतों में सौर पैनल लगाए जा रहे हैं और नीचे खेती भी हो रही है – यानी ऊर्जा और अनाज दोनों।
बाकी नवीकरणीय स्रोतों में भी तेजी
-पवन ऊर्जा: 51.6 GW तक पहुंची
-जैव ऊर्जा: 11.6 GW
-जलविद्युत: 5.1 GW
-ग्रीन हाइड्रोजन: 2030 तक 50 लाख टन का उत्पादन लक्ष्य
रोजगार और निवेश को भी मिल रहा बढ़ावा
ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के ज़रिए 8 लाख करोड़ रुपये का निवेश और 6 लाख से ज़्यादा रोज़गार सृजन की उम्मीद है। यह मिशन स्टील, ट्रांसपोर्ट और फर्टिलाइज़र सेक्टर में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाला है।
हालिया नीति निर्णय
-सरकार ने 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता का लक्ष्य दोहराया है।
-एनएलसी इंडिया रिन्यूएबल्स को 7,000 करोड़ रुपये की सहायता दी गई है, जिससे इसकी क्षमता 2030 तक 10 GW और 2047 तक 32 GW होगी।
आगे का रास्ता हरा है
भारत न सिर्फ़ अपने पेरिस समझौते के लक्ष्यों से आगे चल रहा है, बल्कि 2070 तक नेट ज़ीरो का रोडमैप भी तय कर चुका है। सौर ऊर्जा सिर्फ़ रोशनी देने का काम नहीं कर रही, बल्कि देश को आत्मनिर्भर बना रही है, किसानों की आमदनी बढ़ा रही है और पर्यावरण को सुरक्षित कर रही है।
भारत की ऊर्जा यात्रा अब ऊर्जा क्रांति बन चुकी है — और ये क्रांति सबके लिए है।
No comments:
Post a Comment