जब लूला ने किया मोदी को फोन: टैरिफ दबाव के बीच भारत-ब्राजील की बढ़ती नजदीकियां

7 अगस्त की शाम एक दिलचस्प और अहम कूटनीतिक बातचीत हुई- ब्राजील के राष्ट्रपति लूईस इनासियो लूला दा सिल्वा ने सीधे फोन मिलाया भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को। दिखने में तो ये बातचीत एक आम राजनयिक चर्चा लग सकती है, लेकिन वक्त और हालात कुछ और ही इशारा कर रहे थे।


असल में ये बातचीत ऐसे समय हुई जब भारत और ब्राजील, दोनों अमेरिका की नई टैरिफ नीति के दबाव में हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में इन दोनों देशों के कुछ बड़े निर्यात उत्पादों पर भारी-भरकम आयात शुल्क (टैरिफ) लगाने की घोषणा कर दी है। अब जरा सोचिए — जब दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था किसी देश के सामान पर टैक्स बढ़ा देती है, तो उसका सीधा असर वहां की इंडस्ट्री और अर्थव्यवस्था पर पड़ता है।

यही वजह है कि लूला का मोदी को फोन करना एक साफ संदेश है — अब अकेले नहीं, साथ मिलकर चला जाएगा।

अमेरिका की टैरिफ चाल और ग्लोबल साउथ का जवाब
बातचीत में एक बड़ी चिंता यही थी कि अमेरिका की ये नई “प्रोटेक्शनिस्ट” यानी संरक्षणवादी नीति सिर्फ व्यापार तक सीमित नहीं, बल्कि विकासशील देशों के लिए एक सीधी चुनौती है। भारत और ब्राज़ील दोनों इस बात पर सहमत दिखे कि इस तरह की नीतियां ग्लोबल साउथ (यानी विकासशील देशों) के लिए नुकसानदेह हैं।

दोनों नेताओं ने इस बात पर भी चर्चा की कि अब वक्त आ गया है जब WTO, G20 और बाकी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मिलकर आवाज उठानी चाहिए। साफ शब्दों में कहें तो, "अब बहुत हुआ, अब हमारी भी सुनी जाए" वाला मूड है।

पिछली मुलाकात की यादें और आगे की प्लानिंग
मोदी ने बातचीत में अपनी पिछली ब्राजील यात्रा को याद किया और यह भी कहा कि जो बातें तब तय हुई थीं, अब उन्हें एक्शन में बदलना चाहिए। चाहे वो ट्रेड हो, टेक्नोलॉजी, डिफेंस, एनर्जी, हेल्थ या एग्रीकल्चर, दोनों देशों के पास एक-दूसरे से सीखने और साथ काम करने की काफी संभावनाएं हैं।

लूला ने भी साफ कहा कि उन्हें भारत पर भरोसा है और वे भारत के साथ मिलकर क्लाइमेट फ्रेंडली टेक्नोलॉजी, बायोटेक, एग्रीटेक और हेल्थ सेक्टर में खास साझेदारी चाहते हैं। उनका मानना है कि अमेरिका जैसे देशों की आर्थिक नीतियों से निपटने के लिए विकासशील देशों को "साझा मोर्चा" बनाना चाहिए।

सोशल मीडिया पर पीएम मोदी का संदेश
बातचीत के कुछ ही देर बाद प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा कि राष्ट्रपति लूला के साथ अच्छी बातचीत हुई। ब्राजील की मेरी यात्रा को यादगार बनाने के लिए उनका धन्यवाद। हम व्यापार, ऊर्जा, तकनीक, रक्षा, स्वास्थ्य आदि क्षेत्रों में अपनी रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। वैश्विक दक्षिण के देशों के बीच एक मजबूत, जन-केंद्रित साझेदारी से सभी को लाभ होता है।

इस एक ट्वीट में मोदी ने वो सब कह दिया जो इस बातचीत की असली भावना थी- जनता की भलाई के लिए, एकजुट होकर दुनिया की बड़ी ताकतों के बीच अपनी जगह बनाना।

अब आगे क्या?
अब देखना दिलचस्प होगा कि भारत और ब्राजील इस बातचीत के बाद कितनी तेजी से आगे बढ़ते हैं। क्या दोनों देश अमेरिका की टैरिफ नीति का कोई ठोस जवाब दे पाएंगे? क्या “ग्लोबल साउथ” की आवाज अब और बुलंद होगी?

एक बात तो तय है — मोदी और लूला की ये बातचीत आने वाले समय में भारत-ब्राजील रिश्तों की दिशा तय करने वाली है। और शायद, उन सारे देशों के लिए भी एक मिसाल बनेगी जो अब तक अकेले ही दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं से निपटने की कोशिश करते रहे हैं।

आपका क्या मानना है? क्या ग्लोबल साउथ एक मजबूत साझेदारी की ओर बढ़ रहा है? क्या भारत और ब्राज़ील मिलकर अमेरिका जैसे देशों को बैलेंस कर पाएंगे? कमेंट में बताइए। 👇

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