भारत की अंतरिक्ष यात्रा विज्ञान, साहस और सामूहिक प्रगति का जज़्बा लेकर सामने आई है। छोटे रॉकेट के प्रक्षेपण से लेकर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग और मानव उड़ान के कदम तक, भारत ने अंतरिक्ष क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर अपनी एक खास पहचान बनाई है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के नेतृत्व में, भारत ने अपनी सीमाओं को पार करते हुए 2025 में भी कई मील के पत्थर स्थापित किए हैं। 30 जुलाई को नासा और इसरो की साझेदारी से विकसित निसार (NISAR) मिशन का GSLV-F16 से प्रक्षेपण निर्धारित है, जो पृथ्वी की सतह को हर मौसम, दिन-रात की स्थिति में उन्नत रडार इमेजिंग के जरिए मॉनिटर करेगा।
हाल ही में, एक्सिओम-4 मिशन के सफल आयोजन ने भारत को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर अपना पहला उपग्रह यात्री भेजने का गौरव दिया। ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के इस ऐतिहासिक मिशन ने भारत के मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षेत्र में नई उम्मीद जगाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी पृथ्वी वापसी पर हौसला बढ़ाया और इसे भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं का नया अध्याय बताया।
भारत का स्वदेशी मानवयुक्त मिशन ‘गगनयान’ विकास के अंतिम चरण में है, जिसे 2027 की पहली तिमाही में लॉन्च किया जाएगा। इसके साथ-साथ 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) के निर्माण और 2040 तक चंद्रमा पर भारत के उपग्रह को उतारने की आशा है।
इसरो के चंद्रयान-1, चंद्रयान-3 जैसे मिशनों ने भारत को चंद्रमा की सतह पर पहले सफल मानवीय कदमों में से एक बनाया, साथ ही मंगलयान मिशन ने कम लागत पर सफलतापूर्वक मंगल ग्रह की कक्षा में एशिया में प्रथम स्थान प्राप्त किया।
इसरो ने अपनी अगली पीढ़ी के प्रक्षेपण यान (NGLV) का विकास शुरू किया है, जो पृथ्वी की निचली कक्षा में भारी पेलोड ले जाने में सक्षम होगा। अंतरिक्ष मलबा प्रबंधन के लिए भी मलबा मुक्त अंतरिक्ष मिशन (DFSM) योजना 2030 तक लागू होगी, जिससे अंतरिक्ष में सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित हो सकेगी।
इसरो के निजी क्षेत्र को खुला छोड़ने और वैश्विक साझेदारियों के मद्देनजर, पिछले दशक में अंतरिक्ष बजट में भारी वृद्धि के साथ अंतरिक्ष स्टार्टअप और वाणिज्यिक उपग्रह प्रक्षेपण की संख्या बढ़ी है। भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में नवाचार, रोजगार और वैश्विक प्रतिस्पर्धा की भावना देखी जा रही है।
आगामी मिशनों में PSPLV-C61/EOS-09, TV-D2, GSLV-F16/NISAR जैसे उपग्रहों का प्रक्षेपण शामिल है, साथ ही शुक्र मिशन, चंद्रयान-4, और चंद्रयान-5 भी योजनाबद्ध हैं।
भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम अन्वेषण से लेकर वैश्विक नेतृत्व की दिशा में प्रगति कर रहा है। उत्साहवर्धक वैज्ञानिक उपलब्धियां, रणनीतिक सहयोग और मजबूत नीतिगत समर्थन ने यह सुनिश्चित किया है कि भारत अंतरिक्ष के भविष्य को आकार देने वाले प्रमुख राष्ट्रों में होगा।
सोर्स पीआईबी
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