हर साल 10 जुलाई को राष्ट्रीय मत्स्य किसान दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य भारत के मत्स्यपालकों, मछुआरों और उद्यमियों के अमूल्य योगदान को सम्मानित करना है। यह दिवस देश की खाद्य सुरक्षा, मछली आधारित प्रोटीन की बढ़ती मांग को पूरा करने और ग्रामीण रोजगार को बढ़ावा देने में मत्स्यपालकों की भूमिका को रेखांकित करता है।
इस दिन की ऐतिहासिक महत्ता भी है—1957 में इसी दिन प्रो. डॉ. हीरालाल चौधरी और डॉ. केएच अलीकुन्ही ने भारतीय मेजर कार्प्स में हाइपोफिसेशन तकनीक द्वारा प्रेरित प्रजनन का सफल प्रदर्शन किया था, जिससे भारत में अंतर्देशीय जलीय कृषि में क्रांतिकारी बदलाव आया। यह उपलब्धि भारत के मत्स्यपालन क्षेत्र के लिए मील का पत्थर साबित हुई।
राष्ट्रीय मत्स्य किसान दिवस के आयोजन का मुख्य उद्देश्य:
-मत्स्यपालकों, मछुआरों और उद्यमियों के योगदान को पहचानना और उन्हें सम्मानित करना।
-सतत मत्स्य प्रबंधन और आधुनिक जलीय कृषि तकनीकों को अपनाने के लिए संवाद और जागरूकता बढ़ाना।
-मत्स्यपालन क्षेत्र में वैज्ञानिक अनुसंधान, नवाचार और तकनीकी प्रगति को प्रोत्साहित करना।
सरकार के प्रयासों और निवेश के चलते भारत का मछली उत्पादन पिछले एक दशक में दोगुना से भी अधिक हो गया है—2013-14 के 95.79 लाख टन से बढ़कर 2024-25 में 195 लाख टन तक पहुंच गया है। अंतर्देशीय मत्स्यपालन और जलीय कृषि में 140 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। साथ ही, समुद्री खाद्य निर्यात 60,500 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है, और झींगा उत्पादन में 270 प्रतिशत की वृद्धि के साथ भारत ने वैश्विक नेतृत्व कायम किया है।
10 जुलाई 2025 को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-केंद्रीय मीठाजल जीवनपालन अनुसंधान संस्थान, भुवनेश्वर में राष्ट्रीय मत्स्य किसान दिवस का आयोजन किया जाएगा। इस कार्यक्रम में केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी तथा पंचायती राज मंत्री राजीव रंजन सिंह, राज्य मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल, जॉर्ज कुरियन और ओडिशा सरकार के मत्स्य पालन मंत्री गोकुलानंद मलिक की उपस्थिति रहेगी।
यह दिवस मछलीपालकों के अटूट समर्पण और भारत की खाद्य सुरक्षा, प्रोटीन की बढ़ती मांग तथा ग्रामीण रोजगार में उनकी भूमिका को मान्यता देने के लिए मनाया जाता है। मत्स्यपालकों के प्रयासों ने न केवल लाखों लोगों को आजीविका दी है, बल्कि देश की नीली अर्थव्यवस्था और सतत जलीय कृषि की दिशा में भी बड़ा योगदान दिया है।
कार्यक्रम की मुख्य झलकियां:
-नए मत्स्य पालन क्लस्टरों की घोषणाइस वर्ष, राष्ट्रीय मत्स्य किसान दिवस के अवसर पर देशभर के मत्स्यपालकों, सहकारी समितियों, एफएफपीओ, केसीसी कार्डधारकों और स्टार्ट-अप्स को सम्मानित किया जाएगा। साथ ही, मत्स्यपालन क्षेत्र में गुणवत्ता, मानकीकरण और क्षमता निर्माण के लिए नई पहलें और दिशा-निर्देश भी जारी किए जाएंगे।
-आईसीएआर प्रशिक्षण कैलेंडर का विमोचन
-बीज प्रमाणीकरण और हैचरी संचालन पर दिशा-निर्देश जारी
-पारंपरिक मछुआरों, सहकारी समितियों, स्टार्ट-अप्स आदि को सम्मानित किया जाएगा
-पीएमएमएसवाई-समर्थित परियोजनाओं का उद्घाटन और वर्चुअल आधारशिला रखी जाएगी
यह दिवस न केवल मत्स्यपालकों के समर्पण और नवाचार को उजागर करता है, बल्कि भारत को एक संपन्न और सतत नीली अर्थव्यवस्था की ओर ले जाने में उनकी केंद्रीय भूमिका को भी रेखांकित करता है।
सौजन्य पीआईबी
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